BAKULA BOOK REVIEW SUMMARY IN HINDI

बकुला

रिव्यु –

बकुला यह सुधा मूर्ति द्वारा लिखित किताब है | सुधा मूर्ति मैडम विचारों से ही नहीं कर्म से भी बहुत बड़ी हस्ती है |उनका जन्म 1951 मे कर्नाटक मे हुआ | वह एक टीचर , इंजीनियर , लेखिका है और अपने परोपकार

से लोगों की मदद करती है | वह इंफ़ोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन है | उनके इस समाजसेवा के लिए उन्हे 2006 मे पद्मश्री सन्मान से नवाजा गया | भारत के नागरिक पुरस्कारों के क्रमों में यह चौथा स्थान पाता है |

उसके बाद 2023 उन्हे पद्म भूषण सन्मान से सन्मानित किया गया |

यह भारत के नागरिक पुरस्कारों मे तीसरा स्थान पाता है | वह गेट्स फाउंडेशन द्वारा चलाए जानेवाले कार्यक्रम पब्लिक हेल्थ केयर इनीशिएटिव की सदस्य है | उन्होंने बहुत सारे अनाथालय स्थापित किए और गांवों का जीवनस्तर बढ़ाने के लिए बहुत मेहनत की | उन्होंने कर्नाटक के गाँव के स्कूलो मे कंप्युटर और पुस्तकालय की सुविधा उपलब्ध करवायी |उनके द्वारा लिखित डॉलर बहु किताब जो मूलतः कन्नड मे लिखी गई है |

       इस पर सीरियल भी बन चूंकि है | पितृऋण उनकी लिखी इस किताब पर नीतीश भारद्वाज इन्होंने मराठी मे फिल्म बनाई है | सुधा मूर्ति मैडम इन्होंने कन्नड फिल्म “प्रार्थना” मे अभिनय भी किया है | आप गूगल पर उनके बारे मे और भी सर्चकर सकते है | उनके और भी किस्से हम आप के साथ उनकी लिखी तीन हजार टांके इस किताब के वक्त शेयर करेंगे | यही वह किताब है जो उन्होंने हमारे देश के महान कोमेडियन कपिल शर्माको भेट दी थी | उनका व्यक्तित्व ही ऐसा है की आप उनसे बहुत सारी बातों मे प्रेरणा ले सकते है |

      वैसे ही उनकी लिखी किताबे भारतीय नारी के मन को आप के सामने खोलकर रख देती है | हमे लगता है की बहुत सारी गृहिनियाँ जब उनकी यह किताबे पद्धति होंगी तो उनको किताब के चरित्र , बहुत परिचित लगते होंगे या फिर उनको लगता होगा की उनकी ही कहानी इस किताब मे बताई जा रही है | वैसी ही यह प्रस्तुत पुस्तक है जो जिसकी नायिका बहुत अपनी सी लगती है | चलिए जानते है – बकुला को ..

बकुला यह जंगली पेड़ है जिस पर सालभर ,बारीक़ सुगन्धित फुल खिलते है | यह ज्यादातर भारत के दक्षिण भाग और कोंकण में पाए जाते है | यही बकुली का पेड़ श्रीकांत और श्रीमती दोनों के घरो के बीच में लगा था | जिसके फुल चुनने के बहाने इन दोनों का प्यार परवान चढ़ता है | इन दोनों की प्रेमकहानी को किताब के रूप में लिखनेवाली लेखिका है सुधा मूर्ति | इनकी किताबो के जरिये आप कर्नाटक को जानने लगोगे क्योंकि इनकी ज्यादातर कहानिया और पात्र वही के होते है | उनकी संस्कृति , रहन सहन , बोलचाल की भाषा , खाना – पिना इसके बारे में भी आप जान सकोगे | इस अप्रतिम किताब की लेखिका है –

मूल लेखिका – सुधा मूर्ति

मराठी अनुवाद – लीना सोहोनी

प्रकाशन – मेहता पब्लिशिंग हाउस

पृष्ठ संख्या – 148

उपलब्ध – अमेज़न पर

आएये देखते है इसका सारांश –

सारांश –

श्रीकांत और श्रीमती बचपन से एक ही स्कूल में पढ़ते है | उनके घर भी एक दुसरे के समीप ही है | इन दोनों के परिवारों में वंश परंपरागत बैर है जिस कारण श्रीकांत और श्रीमती का प्रेमविवाह होता है | श्रीकांत की माँ और बहण उसे स्वीकार नहीं कर पाती | उसे हमेशा जली – कटी सुनाते रहती है | श्रीकांत समझदारी की अपेक्षा सिर्फ अपनी पत्नी से ही रखता है क्योंकि उसका मानना है की उसकी माँ और बहन कम पढ़ी – लिखी होने के कारण उन्हें हर जगह उचित बोलना नहीं आता | श्रीमती पढ़ी – लिखी है इसलिए समझदारी वह करे | लेकिन क्या श्रीकांत का यह काम नहीं की अगर उसकी माँ को सही बोलना नहीं आता तो ,अपनी माँ को कम बोलने के लिए कहे | जली कटी बोलने के लिए भी तो दिमाग की जरुरत होती है इसमें कैसे उसकी माँ और बहन का दिमाग चलता है ?

वैसे तो श्रीकांत और श्रीमती का अलग संसार है | इसके बावजूद दूर रहनेवाली उसकी सास और ननंद झूठे वचन बोलकर हमेशा इन दोनों के संसार मे विष घोलती रहती है |

श्रीकांत को हमेशा उसकी माँ के किये कष्ट ही नजर आते है | श्रीमती जो उसके लिए करती है उसे वह सिर्फ पत्नी का कर्तव्य मानता है | श्रीमती के कारण वह दिन –ब- दिन तरक्की पाता है | लेकिन वह जितना आगे है श्रीमती उससे उतना ही पीछे छूटती जाती है | वह सफलता और पैसे के पीछे इतना भागता है की श्रीमती क्या चाहती है , क्या सोचती है , इसकी परवा तक नहीं करता | श्रीकांत , श्रीमती से अपनी कंपनी की एक प्रतिनिधि के तौर पर यन्त्र के जैसा काम लेता है |

बोर्ड की परीक्षा में प्रथम आनेवाली श्रीमती , बोर्ड में दूसरा आनेवाले श्रीकांत से ,जिंदगी की दौड़ में पीछे रह जाती है | वह भी सिर्फ श्रीकांत से प्यार के कारण……..

श्रीमती एक ग्रेट हिस्टोरियन है | इन सारी घटनाओ के कारण उसे अपनी अहमियत समझ में आती है | वह अपनी डॉक्टरेट करने के लिए अमेरिका उड़ चली जाती है | अब श्रीकांत को अहसास होता है की श्रीमती उसके लिए क्या थी ? पढ़कर जानिये की क्या श्रीकांत अपना घमंडी स्वभाव छोड़कर उसे लेने जाता है या नहीं ? क्योंकि श्रीमती ने उसे जरुरत के वक्त उपलब्ध रहने का वादा किया था | वह उससे प्यार जो करती थी | आखिर भारतीय पत्नियाँ होती ही ऐसी है की पति कितनी भी गलतिया करे उन्हें माफ़ करने में संकोच नहीं करती तो क्या श्रीमती भी ऐसा ही करती है ?

पढ़िए और पढ़कर जानिये……

धन्यवाद !

Wish you happy reading………

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