THE DIARY OF A YOUNG GIRL REVIEW HINDI

द डायरी ऑफ़ अ यंग गर्ल

रिव्यु –

   इस किताब के बारे में तो किसी को कुछ भी बताने की जरुरत ही नहीं क्योंकि यह किताब बहुत ही प्रसिद्ध है | फिर भी अभी तक अगर आप ने इसे नहीं पढ़ा होगा तो आइये इस के बारे में जानते है | जिस डायरी के वजह से यह लड़की प्रसिद्ध हुई | वह डायरी इस लड़की को उसके बर्थडे पर गिफ्ट में मिली थी | इस लड़की का नाम Anni frank था और उसकी डायरी का नाम किटी था | ऍन की वह डायरी उसकी बेस्ट फ्रेंड थी क्योंकि वह उससे कोई सवाल नहीं पूछा करती सिर्फ ऍन की बाते सुनती | ऍन की यह डायरी मराठी में “ रोजनिशी ” इस नाम से प्रसिद्ध है | रोजनिशी मतलब रोज लिखी जानेवाली डायरी…..

हालाकि , ऍन अपनी डायरी कभी – कभी दो – तीन दिन के अंतराल पर भी लिखा करती | तो जब कभी किसी जगह रोजनिशी का जिक्र हो तो समझ जाइये की ऍन की डायरी का जिक्र हो रहा है | इस साल 2020 में तो यह किताब C.B.S.C. के अंग्रेजी विषय में समाविष्ट की गई है शायद इसीलिए ताकि बच्चे जान सके की कभी उनकी ही उम्र की रही इस बच्ची ने क्या – क्या दुःख सहे |

ऍन जहाँ छुपकर रही वहां वह १३ साल से १५ साल की हो गई | १५ साल की होते होते वह उनके ही साथ रहनेवाले पिटर नाम के लड़के के साथ प्रेम में पड गई | अपने इस प्रेमसंबंध के बारे में भी उसने अपनी इस डायरी में लिखा है | यह डायरी ऍन के पिता ने छपवाई जो यातना देनेवाली छावनी से बच गए थे | यह डायरी ऍन ने डच भाषा में लिखी है | उसकी भाषा भी थोड़ी टूटी – फूटी है |

मुख्य लेखिका –एनी फ्रैंक

मराठी अनुवाद –

प्रकाशक – मंजुल पब्लिशिंग हाउस

पृष्ठ संख्या – ३१२

उपलब्ध – अमेज़न पर हिंदी , मराठी और अंग्रेजी में

सारांश –

    सबसे पहले तो ऍन ने इस डायरी में उसके क्लासमेट के बारे में लिखा जिसमे लड़के और लडकिया दोनो शामिल थे | इस लड़की को अपनी कोई दोस्त पसंद नहीं थी | हर एक लड़की में कोई न कोई नुक्स जरूर निकाला है | वैसे ही इसको अपनी माँ और बड़ी बहेन भी पसंद नहीं थी | हालाकि , उसकी तरफ से अपनी वजह बताई गयी है जो उसे सही लगी थी | उसे सिर्फ अपने पापा अच्छे लगते थे क्योंकि वे उसकी बात सुनते थे और ज्यादा अच्छी बनने के लिए उपदेश नहीं देते थे | 

      यह हालैंड की रहनेवाली थी जहाँ हिटलर का राज था | वह सारे ज्यू लोगो को यातना छावनी में भेजा करता जहाँ लोग यातनाओ से मर जाया करते या फिर उन्हें गैस चैम्बर में बंद कर दिया जाता जबतक की उनकी सांसे रुक नहीं जाती | यह सारी खबरे जब ऍन और उसके साथ रहनेवाले लोगो तक पहुंचती तो डर के मारे उनका बुरा हाल हुआ करता | उनमे से कुछ लोग तो पकडे जाने के डर से भी कुछ देर के लिए अपने होशो हवास खोकर पागलो जैसा व्यवहार किया करते | ऍन का परिवार और साथ में रहनेवाले और चार लोग भी ज्यू थे इसीलिए वह लोग अपनी जान बचाने के लिए किसी गुप्त जगह पर दो साल तक छुपकर रहे | उनको वहां खाने पिने की परेशानी होती | 

     कई दिनों तक एक ही तरह का खाना खाना इसीलिए जब कभी वह किसी से शादी का जिक्र सुनते तो वहां के खाने का मेनू सुनते ही ऐसा करते जैसे उन्होंने कभी ऐसा खाना खाया ही नहीं | हालाकि , ऍन का परिवार अमीर था | इससे पता चलता है की हालात इन्सान को कैसे बना देते है | दिन में वह टॉयलेट में फ्लश नहीं कर सकते थे इससे पुरे घर में दुर्गन्ध फ़ैल जाया करती | वह दिन में खिड़की , दरवाजे नहीं खोल सकते थे | लाइट नहीं लगा सकते थे | 

      इतने विषम परिस्थिति में भी ऍन और उसके साथ रहनेवाले पिटर के बीच प्यार का फुल खिल जाता है | अब ऍन और पिटर तो वहां से निकलने के बाद पूरी जिंदगी एक साथ बिताने का सोचते है | ऐसे ही ऍन के सपनो के एक बड़ी लिस्ट भी है जो वह यहाँ से बाहर निकलकर करना चाहती है |

पर किस्मत को शायद यह मंजूर नहीं | इसीलिए शायद वह सारे लोग पकडे जाते है | वहां पकडे जानेवाले आठ लोगो में से सिर्फ ऍन के पिता ही बच पाते है | बाकि सारे अलग – अलग परिस्थितियों में मारे जाते है | ऍन भी यातना छावनी में फैली गन्दगी के कारण हुई टाईफाइड की बीमारी से मर जाती है |

इस १५ साल की बच्ची का दुःखद अंत ही शायद हमें इस किताब की ओर खींचता है और साथ साथ में हिटलर की क्रूरता भी प्रदर्शित करता है | जिंदगी को पूरी ख़ुशी और उल्लास के साथ जीवन जीनेवाली ऍन के बहुत से सपने अधूरे ही रह गए | यह किताब तो पहले से ही बहुत प्रसिद्ध है और क्या कहे ………

किताब को जरूर पढियेगा |

धन्यवाद !

Wish you happy reading……..

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