REVIEW –
लेखिका सुधा श्रीमाली द्वारा लिखित शेयर मार्केट की बुनियादी बातों को शामिल करने वाली उनकी पुस्तक “शेयर मार्केट गाइड” की सफलता के बाद उन्होंने यह दूसरी किताब लिखी जिसमें उन्होंने बताया है कि आपको शेयर मार्केट और म्युचुअल फंड में किस तरह निवेश करना चाहिए ताकि आप का निवेश सुरक्षित रहे और इससे आप पैसे से पैसा बना सके |
बहुत सारे लोग समझते हैं कि शेयर मार्केट पैसा कमाने का जैकपॉट है लेकिन ऐसा नहीं है | अच्छा रिटर्न पाने के लिए धैर्य की आवश्यकता है | लोगों की और एक गलतफहमी है कि कुछ-कुछ लोग इसे सट्टा बाजार जैसे समझते हैं लेकिन यह भी गलत है | लॉन्ग टर्म के लिए किया गया इन्वेस्टमेंट शुद्ध निवेश है | जिसके लिए आपको शेयर मार्केट और निवेश करने वाली कंपनियों के बारे में पता होना बहुत जरूरी है |
जैसा कि हमने शुरुआत में ही बताया कि उन्होंने शेयर मार्केट की बेसिक जानकारी पर आधारित एक किताब लिखी है जिसका नाम “शेयर मार्केट गाइड” है उसे आप जरूर पढे |
उसका भी रिव्यू और सारांश हमारे चैनल “सारांश बुक ब्लॉक” पर उपलब्ध है | जरूर देखें | वीडियो का लिंक और किताबों का लिंक नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में दिया है | प्रस्तुत किताब की –
लेखिका है – सुधा श्रीमाली
प्रकाशक है – प्रभात प्रकाशन
पृष्ठ संख्या है – 128
उपलब्ध है – अमेजन पर
प्रस्तुत किताब में पूरे 28 अध्याय है जिसमें शामिल है – निवेश के विकल्प सुरक्षित हो सकते है , कंपनी के रिपोर्ट कार्ड से जाने शेयरों का हाल , थोड़ा-थोड़ा निवेश करके बनाएं बड़ी रकम, कैसे चुने बेहतरीन म्युचुअल फंड इत्यादि |
लेखिका की जानकारी भी “शेयर मार्केट गाइड ” के वीडियो में दी है | हमारा अनुरोध है की पहले आप वह किताब पढे ताकि आप को शेयर मार्केट की बेसिक जानकारी पता चल जाए | उसके बाद आप यह किताब पढे ताकि आप बेहतर निवेश कर पाए और अपने पैसे को बढा पाए | आइए इसीके साथ देखते है इसका सारांश –
SUMMARY-
पहले अध्याय में उन्होंने शेयर मार्केट की कहानी बताई है कि वह कहा और कैसे स्थापित हुआ | इस जानकारी को आप किताब में ही पढ़ लीजिएगा | साथ ही आईपीओ की जानकारी , सेंसेक्स, इंडेक्स , ब्रोकर , टिप्स ,बीएसई , NSE , प्रेफरेंशियल शेयर , इक्विटी शेयर ,बोनस शेयर ,राइट इश्यू इत्यादि के बारे मे जानकारी भी अध्याय 1 से लेकर अध्याय 10 में दी है |
आप यह जानकारी उनकी लिखी पहली किताब में डिटेल में पढ़ पाओगे | इसलिए उनको स्किप कर देते हैं | अब देखते हैं कि “बाय बैक ” क्या होता है ?
जब कोई कंपनी मार्केट में अवेलेबल उनके खुद के ही शेयर दोबारा खरीदती है तो उसे बाय बैक कहा जाता है | कंपनी का बायबैक निवेशक के लिए अच्छा होता है क्योंकि इससे उनके शेयरों की कीमत बढ़ जाती है | बायबैक के लिए कंपनी को एक विशेष तरह की प्रक्रिया से गुजरना होता है जिससे जुड़ी पूरी जानकारी आपको स्टॉक एक्सचेंज में मिल सकती है |
कंपनी बायबैक का रास्ता क्यों चुनती है ? इसके पीछे कई कारण काम करते हैं | इसके बाद लॉट , मार्जिन कॉल , निवेशक और ब्रोकर का आपस में संबंध कैसे होता है ? यह भी आप पढ़ पाओगे |
अब उन बातों को जानते हैं जिसके लिए आप ने इस विडिओ को क्लिक किया है | की आप किस तरह निवेश करें ? ताकि आप का निवेश किया पैसा बढ़े | तो आपको अपने बचत की रकम ही निवेश करनी चाहिए | वह भी एक ही कंपनी में नहीं बल्कि अलग-अलग कंपनियों में .. |
लेखिका के अनुसार आपको तब शेयर खरीदने चाहिए जब मार्केट में मंदी का दौर चल रहा हो या शेयरों की कीमत कम हो ! आपको शेयर बाजार में नहीं बल्कि कंपनियों में निवेश करना चाहिए क्योंकि कंपनी के कामकाज को प्रभावित करने वाले कारण कम होते हैं और बाजार को प्रभावित करने वाले कारण बहुत होते हैं | शेयर खरीदने के बाद आपको उन पर कितना नफा चाहिए यह आपको पहले से ही तय कर लेना चाहिए ताकि आप उन्हें सही समय पर बेचकर अपना नफा बुक कर पाए |
शेयर खरीदते समय लोगों की ना सुन अपने बुद्धि से काम लेना चाहिए | किसी भी शेयरों के साथ भावनात्मक जुडाव ना रखें | अच्छे शेयर वसीयत के रूप में अपने संतानों के लिए भी रखे जा सकते हैं | आपका पोर्टफोलियो अगर किसी एक सेक्टर की तरफ झुका हुआ है तो यह आपके निवेश के लिए खतरनाक है |
अगर आप लंबी अवधि के लिए diversified निवेश करते हैं तो आप प्रॉफ़िट कमाने में कामयाब हो सकते हैं | छोटे-छोटे निवेश करके एक बड़ी रकम बनाने के लिए शेयर बाजार मददगार साबित हो सकता है | इक्विटी में लंबे समय तक सावधानी से किया गया छोटे से छोटा निवेश भी हर हाल में एक बड़ी रकम बन जाता है | जबकि लोग सोचते हैं कि शेयर बाजार में इन्वेस्ट करने के लिए एक बड़ी रकम चाहिए | इसके लिए आपको अपना इन्वेस्टमेंट प्लान बनाना चाहिए |
अगर आप SIP यानी “सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान ” के तहत महीने के ₹ 5000 “डायवर्सिफाइड इक्विटी म्युचुअल फंड” में लगाते हैं | वह भी 15 से 20 साल के लिए | तो यह आपके रिटायरमेंट तक एक अच्छी खासी रकम आपको वापस करेगा |
आपका यह इन्वेस्टमेंट बिल्कुल भी जोखिम भरा नहीं है क्योंकि आप इसे लंबी अवधि के लिए लगा रहे हैं | शेयर बाजार में बहुत ज्यादा जोखिम शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट पर होता है | इस तरह बताने से आपको पता नहीं चलेगा कि आपके पास कितना पैसा जमा हो जाएगा | इसके लिए लेखिका ने एक उदाहरण बताया है | वही हम आपको बता रहे हैं |
समझिए आपने ₹ 5000 महीने के निवेश किए 35 सालों के लिए | तो आप साल के 60,000 रुपए निवेश कर रहे हैं | इस तरह आप 35 साल में 21 लाख रुपए जमा करेंगे | मान लीजिए इस पर आपको 15% रिटर्न मिला तो आपके 21 लाख में तीन लाख रुपये जुड़ जाएंगे और आपको 24 लाख रुपए मिलेंगे |
अगर इतने ही इंटरेस्ट को जोड़कर रिटर्न निकाले तो 15% के रेट से यह रकम भी 24 लाख रुपए बनती है | मान लीजिए कि आप को पूरे 50 लाख रुपए मिल गए | इस रकम का कैलकुलेशन सिर्फ साधारण ब्याज दर के आधार पर निकाला गया है |
आमतौर पर लोग इसी तरह सोचते हैं जो कि गलत है | ब्याज की गणना ऐसे नहीं होती है बल्कि इसमें वार्षिक चक्रवृद्धि ब्याज फार्मूला अपनाया जाता है जिसके आधार पर अगर कैलकुलेशन किया जाए तो निवेश करने वाले व्यक्ति के पास करीब 7.43 करोड रुपए होंगे | यह कोई चमत्कार नहीं बल्कि यह चक्रवृद्धि ब्याज दर का कमाल है | इसीलिए शायद इसे आइंस्टीन ने दुनिया का आठवां अजूबा भी कहा है |
अगर आप 35 साल की लंबी अवधि तक निवेश नहीं करना चाहते और चाहते हैं कि आपको 35 साल बाद मिलने वाली रकम यानी कि 7.43 करोड रुपए मिल जाए तो आप एक काम कर सकते हैं | महीने के 6420 रुपये 10 साल के लिए इन्वेस्ट कर के 25 साल तक उसे बढ़ने के लिए छोड़ सकते है | तब आपको भी 7.43 करोड रुपए मिलेंगे |
जिन लोगों को शेयर बाजार समझ में नहीं आता है या जिनके पास इसको समझने के लिए वक्त नहीं है | उनके पास म्युचुअल फंड एक अच्छा ऑप्शन है | आप म्युचुअल फंड के जरिए इक्विटी डायवर्सिफाइड फंड में निवेश कर सकते हैं | म्यूचुअल फंड में शेयरों का मैनेजमेंट फंड मैनेजर करते हैं लेकिन सही फंड का चुनाव और टाइम लिमिट तो निवेशक को ही चुनना पड़ता है |
हालांकि म्युचुअल फंड मे भी बाजार से रिलेटेड रिस्क बने ही रहते है | उसके लिए म्युचुअल फंड से जुड़े क्या-क्या जोखिम होते हैं ? वह आपको किताब पढ़ कर पता चलेगा |
अब देखते हैं की डेट में आप किस तरह निवेश कर सकते हैं ? डेट में निवेश करने के पहले निवेशक को रिस्क , रिटर्न , तरलता जैसी बातों पर ध्यान देना चाहिए |
डेट में निवेश के विकल्प इस प्रकार है –
1. नॉन – कन्वर्टिबल डिबेंचर ( N.C.D.) –
इसमे ज्यादा रिस्क है | निवेशक के तौर पर इसकी रेटिंग जरूर देखें | N.C.D.के प्रोस्पेक्टस में वह भी होती है | A.A.A. सबसे सुरक्षित होती है |
2. कंपनी डिपॉजिट –
कंपनी डिपॉजिट और बैंक की जमा योजनाएं लगभग एक जैसी होती है | कंपनी डिपॉजिट की सुरक्षा और रिटर्न रेटिंग पर निर्भर करता है | कंपनियां ज्यादा रिटर्न देती है जबकि बैंक कम .. |
कंपनी डिपॉजिट , बैंक सावधि जमा योजनाओं के मुकाबले ज्यादा रिस्की है | बैंक की एक लाख तक की सावधि जमा योजना को ” डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन” डी आई सी जी सी के तहत सुरक्षा मिलती है |
3. छोटी बचत योजनाएं –
यह सरकारी योजनाएं होती है | यह निवेश का एक सुरक्षित तरीका माना जाता है | इसमें टैक्स बेनिफिट भी मिलता है | इसमे पब्लिक प्रोविडेंट फंड ज्यादा लोकप्रिय है | प्रोविडेंट फंड की अवधि 15 साल की होती है | इसमें आपको हर साल 10,000 रुपये जमा करने होते हैं | जिस पर 8% का रिटर्न मिलता है |
जिसमें ब्याज का कैलकुलेशन वार्षिक चक्रवृद्धि आधार पर होता है | इस हिसाब से आपको मैच्योरिटी के समय 2.93 लाख रुपए मिलेंगे | इस पर आपको कोई टैक्स भी नहीं लगेगा क्योंकि आयकर धारा 80 -C के तहत प्रोविडेंट फंड की मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम टैक्स फ्री होती है |
राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र याने ( N.S.P.) में 8% का करपूर्व रिटर्न मिलता है | ब्याज की गणना 6 महीने के चक्रवृद्धि आधार पर होती है | इन दोनों योजनाओं में आपका पैसा लंबी अवधि के लिए लॉक होता है जिससे अगर शेयर बाजार अच्छा रिटर्न दे रहा हो तो आप इस मौके को चूक सकते हैं |
4. लिक्विड फंड –
जो निवेशक बड़ी रकम लगाना चाहते हैं | उनके लिए लिक्विड फंड एक अच्छा ऑप्शन है | यह जोखिम भरा भी है और इस पर 15% का डीडीटी यानी कि “डिविडेंड डिसटीब्यूशन टैक्स” भी लगता है |
अगर आप F.M.P. में निवेश कर रहे हैं जिसकी अवधि 12 महीने से कम है तो आप डिविडेंड ऑप्शन चुन सकते हैं | वहीं अगर यह योजना 12 महीने से ज्यादा की है तो आप ग्रोथ ऑप्शन चुन सकते हैं | ग्रोथ ऑप्शन में भी ” इंडेक्सेशन ऑप्शन” चुन सकते हैं क्योंकि ग्रोथ ऑप्शन में फायदा बहुत ज्यादा है और यह किसी भी टैक्स आर्बिट्रेज को खत्म कर देता है |
जब आप शेयर खरीदते हैं तो आपको कंपनी के प्रदर्शन पर नजर रखनी होती है | कंपनियां हर 3 महीने में अपने प्रदर्शन की रिपोर्ट पेश करती है | इसे तिमाही रिपोर्ट कहते है | इसमें कंपनी के कारोबार की स्थिति और भविष्य की कारोबारी संभावनाओं को बताया जाता है |
इससे कंपनी की वित्तीय स्थिति और उसके कारोबारिक माहौल को समझने में मदद मिलती है | इन्हीं नतीजो के आधार पर कंपनी के भविष्य का अनुमान लगाया जाता है |
इसे “गाइडेंस” कहते हैं | अगर कंपनी की पिछली गाइडेंस और तिमाही नतीजे मेल खाते हैं तो इसे पता चलता है कि कंपनी का मैनेजमेंट कुशल हाथों में है | और इसी आधार पर आप इसका उल्टा नतीजा भी निकाल सकते हैं | इन्हीं नतीजे के आधार पर आप कंपनी के शेयर खरीदने या बेचने का निर्णय ले सकते हैं |
कंपनी के तिमाही नतीजे का इंतजार बहुत सारे निवेशक करते रहते हैं ताकि वह एक बेहतर निर्णय ले सके | क्यों जरूरी होते हैं यह तिमाही नतीजे ? क्या असर होता है इनका शेयरों पर ? चलिए इसका जवाब पता करते हैं |
यह नतीजे अगर अच्छे हैं तो शेयरो की कीमत बढ़ती है | बुरे हैं तो शेयरों की कीमत घटती है | अगर किसी कंपनी के तिमाही आंकड़े लगातार खराब आ रहे हो तो हो सकता है वह कंपनी परेशानियों का सामना कर रही हो |
कभी-कभी कंपनियां अपने तिमाही आंकड़ों मे हेर -फेर भी करती है | तब निवेशक को इसका भी पता होना चाहिए | कंपनी की तिमाही रिपोर्ट आपको न्यूज़ पेपर , बिजनेस चैनल और कंपनी की वेबसाइट पर मिल सकती है |
म्युचुअल फंड के प्रदर्शन को आँकने के लिए दो रास्ते अपनाए जाते हैं | 1. शार्प रेशियो
2. एम . स्क्वेयर
इसे आप किताब में ही पढे क्योंकि इसे लेखिका ने उदाहरणों के साथ समझाया हैं जिससे आपको यह आसानी से समझ आएगा |
अब बात करते है की सबसे अच्छा म्युचुअल फंड कैसे चुने ?
अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं तभी सही म्युचुअल फंड चुनना आपके लिए मायने रखता है | नहीं तो शॉर्ट टर्म के लिए आप कोई भी फंड चुन सकते हैं | उनमें ज्यादा फर्क नहीं होता | लंबी अवधि के लिए आपको इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश करना चाहिए |
इसके लिए आपको अपने लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए कि आपको क्यों निवेश करना है ? कितने समय के लिए करना है ? ताकि आप यह निर्णय ले सके कि आपको कितने पैसे इक्विटी फंड में लगानी चाहिए ?
निवेश करने के पहले थोड़ी जांच पड़ताल जरूर कर लेनी चाहिए | लार्ज केपीटलाइजेशन वाले डायवर्सिफाइड फंड खरीदें | भारत में किसी भी फंड में निवेश पर अब टैक्स नहीं लगता है | इसका मतलब यह है कि आपने जितने भी पैसे फंड में डाले हैं | उन सारे पैसों का निवेश होता है |
अगर आप निवेश के लिए इंडेक्स फंड को चुन रहे हैं तो ऐसे फंड को चुने जिसका फंड शुल्क एक प्रतिशत सालाना से कम हो | सही म्युचुअल फंड चुनने के लिए आपको बेसिक जानकारी होना बहुत जरूरी है | उनमें से –
1. निवेश करने से पहले फंड की जानकारी देने वाली वेबसाइट पर जाकर उसकी पूरी जांच पड़ताल कर ले |
2. ऐसा फंड चुने जिसका ट्रैक रिकॉर्ड लंबा और बेहतर हो |
3. सिर्फ ऐसे फंड हाउस को चुने जो निवेश की प्रक्रिया को लेकर जाने जाते हैं |
4. लॉन्ग टर्म में पैसा बनाने के लिए ऐसी स्कीम का चुनाव करें जो डायवर्सिफाइड इन्वेस्टमेंट करती हो |
5. जोखिम से बचने के लिए लॉन्ग टर्म में S.I.P. का इस्तेमाल करें |
6. अच्छे रिटर्न पाने के लिए लार्ज कैप , मिड कैप , स्माल कैप के बीच संतुलन वाला म्युचुअल फंड पोर्टफोलियो तैयार करें |
जो लोग शेयर मार्केट में पैसा नहीं लगाना चाहते और चाहते हैं कि बैंक के मुकाबले उन्हें ज्यादा रिटर्न मिले तो ऐसे लोग डेट फंड में निवेश कर सकते हैं | लंबे अंतराल के लिए यह फंड सुरक्षित है |
शॉर्ट टर्म के लिए लिक्विड फंड अच्छा ऑप्शन है | डेट फंड में निवेश करने वाले निवेशक बैंक या फंड हाउस दोनों के जरिए सरकारी प्रतिभूतियों या कॉर्पोरेट बॉन्ड खरीद सकते हैं |
बाकी म्युचुअल फंड से रिलेटेड और अधिक जानकारी के लिए आप “शेयर मार्केट गाइड” यह वीडियो देख सकते हैं या फिर किताब पढ़ सकते हैं |
शेयर मार्केट में निवेश करने के और भी विकल्प मौजूद है लेकिन उनके बारे में जागरूकता ना होने के कारण लोगों को उनके बारे में ज्यादा पता नहीं है | इनमें से ही एक विकल्प ईटीएफ फंड यानी कि “एक्सचेंज ट्रेडेड फंड ” है |
इसकी ट्रैडिंग बीएससी और एनएससी दोनों में होते हैं | यह लॉंग टर्म के लिए होते हैं | रिलायंस , कोटक , महिंद्रा , ICICI ,एसबीआई , यूपीआई जैसी कंपनियों द्वारा E.T.F. शुरू किया गया है | यह बीएससी और एनएससी के अलावा बैंक इंडेक्स , PSU इंडेक्स , गोल्ड में भी अवेलेबल है |
निफ़्टी बीज ऐसा E.T.F. है जिसका निवेश एनएससी में लिस्टेड पूरी 50 कंपनियों के शेयरों में होता है | इसतरह आप छोटे निवेशक भी है तो आपका निवेश पूरी 50 कंपनियों में होता है | इसलिए फिर आपका जोखिम कम हो जाता है |
निफ्टी बीज भी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड होता है | शेयरों की तरह ही इसकी डे – ट्रैडिंग होती है | अगर निफ्टी 5000 हो तो निफ्टी बीज की एक यूनिट 500 रुपये की मिलेगी |
लंबी अवधि के लिए निफ्टी बीज आप का फायदा ही कराएगा | इसी प्रकार आप सेंसेक्स भी खरीद सकते हैं | इसके सौदे बीएससी में “स्पाइस” नाम से होते हैं | स्पाइस ICICI का प्रोडक्ट है |
2. गोल्ड बीज –
गोल्ड बीज याने एटीएफ के रूप में सोना ही है | इस मे आप गोल्ड ईटीएफ की एक-एक यूनिट जमा कर के रख सकते हैं और जब आपको इसकी जरूरत हो तो इसे फिजिकल गोल्ड में बदल सकते हैं | गोल्ड बीज के सोने का भाव और फिजिकल सोने का भाव भी लगभग सेम ही रहता है |
गोल्ड बीच का भाव एक यूनिट में बोला जाता है जो की 1 ग्राम सोने के बराबर है | फिजिकल गोल्ड पर संपत्ति कर लगता है जबकि पेपर गोल्ड टैक्स फ्री है और यह सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स फ्री भी है |
3. लिक्विड बीज
अगर आप डे – ट्रैडिंग करते हैं तो अपने ब्रोकर से कहेलवाकर अपने शेयर्स लिक्विड बीज में रख सकते हैं ताकि आपको इस पर भी इंटरेस्ट मिलता रहे | लिक्विड बीज पर डेली डिविडेंड जमा होता है |
लिक्विड बीज में एंट्री लोड और एग्जिट पोल “जीरो” है | लिक्विड बीज का भाव NAV 1000 रुपये होता है |
4. गिल्ट फंड और”गोल्ड फंड आफ फंड” की भी डिटेल जानकारी आपको किताब मे मिलेगी |
लेखिका ने निवेशको के कुछ प्रश्नों के उत्तर भी दिए हैं | उन्हें पढ़कर आप अपना भी पोर्टफोलियो तैयार कर सकते हैं | शेयर मार्केट में बहुत सारे शब्द प्रचलित है |
उनमें से ही एक है – बुक वैल्यू
किसी भी कंपनी की वह कीमत है जो एक खास समय पर उसे खुले बाजार में बेचने पर मिलेगी | कंपनी के शेयर की जो सबसे कम कीमत होती है उसे ही बुक वैल्यू ऑफ इक्विटी पर शेयर कहते हैं |
कोई कंपनी उसके द्वारा निवेश की गई राशि पर कितना नफा कम रही है | इसी का लेखा जोखा “रिटर्न ऑन एसेट” होता है | इस तरह शेयर ऑर्बिट्रेज , PBV और इसके जैसे ही और मूल्यवान जानकारी आपको किताब के आखिर में मिल जाएगी |
आशा है उपयुक्त जानकारी पाकर और यह किताब पढ़ कर , आप अच्छा निवेश पाएंगे जिससे आपका भविष्य अच्छा हो ! आपकी आर्थिक उन्नति के लिए हमारी तरफ से बहुत – बहुत शुभकामनाए !
इसी के साथ मिलते हैं और एक नई किताब के साथ तब तक के लिए धन्यवाद !