बारी
रणजीत देसाई द्वारा लिखित
रिव्यू –
प्रस्तुत किताब के लेखक 19 वी सदी के प्रसिद्ध लेखकों मे से एक रहे है | कादंबरी या कहे नॉवेल लिखने का यह उनका पहला ही प्रयास है | लगता ही नहीं की वह पहली बार इस तरह की किताब लिख रहे है | इसके पहले वह कथासंग्रह ही लिखा करते | दोनों प्रकार के साहित्य मे पकड़ रखने वाले बहुत कम लेखक होते है | रणजीत देसाई उनमे से एक है | प्रस्तुत किताब की प्रस्तावना मशहूर लेखक वि. स. खांडेकर इन्होंने लिखी है | उसमे उन्होंने बताया की प्रसिद्ध मराठी फिल्म “देवता ” मे नायक को खलनायक दिखाने का प्रयोग उन्होंने किया था जो काफी सफल रहा | किताब की प्रस्तावना आप जरूर पढे | आप को बहुत सारी जानकारी मिलेगी |
लेखक ने बेरड कहे जानेवाले लोगों का जीवन बहुत पास से देखा | यह बेरड जंगल के अंदर रहा करते | वह जंगल और वहाँ के वन्य जीवन को अपने जीवन का ही एक भाग मानते | उनका जीवनयापन इस जंगल के भरोसे ही होता था | जंगल के रास्ते से जानेवाले बैलगाड़ियों के लोगों के सामान और गहनों को लूटकर वह अपनी उपजीविका कमाते | बाकी के दिन वह जंगल के भरोसे अपने दिन गुजारते | लेखक को यह किताब लिखने के लिए अनुभव चाहिए था | इसलिए वह इन लोगों के साथ रहे | उनके साथ रहकर मेहनत की | लेखक समाज के ऊंचे तबके से आते थे | वह वहाँ का सारा तामझाम अलग रखकर उन लोगों के सुख – दुःख मे एक हो गए | कहानी को जीवंत बनाने के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की | किताब मे अस्सल गाँव की भाषाशैली का प्रयोग हुआ है | किताब लिखने के बाद भी लेखक बहुत दिनों तक उनके साथ ही रहे | उन्होंने सुतगट्टी के बारी की याने की बेरड जाती के लोगों की कहानी यहाँ बतायी है | प्रस्तुत किताब के –
लेखक है – रणजीत देसाई
प्रकाशक – मेहता पब्लिशिंग हाउस
पृष्ठ संख्या – 192
उपलब्ध – अमेजन , किन्डल ( मराठी भाषा मे )
आईये , इसी के साथ देखते है इसका सारांश ……
सारांश –
यह कहानी है – सुतगट्टी के बारी मे रहनेवाले बेरड जाती के “तेग्या ” की | जंगल मे से जानेवाली गाड़ियों को लूटना उसका और उसके गॉंव वालों का जीवनयापन का एक रास्ता है | “तेग्या” गाँव और कहानी दोनों का नायक है | वह फुर्तीला और तेज तर्रार है | ईश्वर भी उसके जीवनसाथी “नागी ” को उसके जैसा ही बनाते है | उसके इस रूप को देखकर तेग्या भी नागी से ही शादी करने की ठान लेता है तो नागी भी उसके साथ शादी ना करने की ठान लेती है | आखिर तेग्या , नागी को जबरदस्ती अपने घर लाकर उससे शादी कर लेता है |
गाँव के रास्ते से जानेवाली हर गाड़ी को लूटनेवाला तेग्या , गाँव के इनामदार के साथ बहुत ईमानदार है | तेग्या की एक गलती की की वजह से इनामदार उसे खून करने के लिए मजबूर कर देता है | उसकी वजह से तेग्या अपने जिगरी दोस्त के भी मौत का जिम्मेदार बन जाता है | उसे सजा हो जाती है | घर वापस आकर अपने पत्नी के साथ अपने बेटे को देखकर पहले वह आश्चर्यचकित और बाद मे आनंदित हो जाता है | वह फिर से अपनी जिंदगी जीने लग जाता है | वक्त आगे बढ़ता जाता है और तेग्या का बेटा बडा हो जाता है | उसकी शादी हो जाती है | वक्त के साथ तेग्या के चाहने वाले ,उसका जिगरी दोस्त ,उसकी बीवी , उसके माँ जैसा मामा उसे छोड़कर चल बसते है | वे कहते है ना – भगवान एक हाथ से लेता है तो दूसरे हाथ से देता है | तेग्या के जीवन मे भी एक आशा की किरण आती है – वह है उसका पोता | वह तेग्या का जिगरी दोस्त है |
अब तक भारत को स्वतंत्रता मिल चुकी है | इस कारण गावों का विकास करने के लिए नयी – नयी योजनाए बनने लगी है | ऐसी ही एक संघटना मे तेग्या का बेटा शामिल होकर जंगल कटवा देता है | बरसों से जिस जंगल ने बेरड जाती को काम धंदा – दिया अब वही जंगल जब गायब हुआ तो काम की तलाश मे गाँव के नौजवान घर छोड़कर शहर जाने लगे | गाँव मे सिर्फ बड़े – बूढ़े बचे रहे | गाँव वीरान हो चला | तेग्या से अब यह सब देखा नहीं जा रहा था |
कहानी के माध्यम से लेखक बताना चाहते है की – पुराना गाँव का जीवन बदलकर बहुत तेजी से यंत्रणा युग की ओर जा रहा है | इसका वहाँ के लोगों के जीवनपर कितना गहरा असर पड़ता है | कभी – कभी गाँव को विकसित करने के चक्कर मे पुढारी लोग गाँव की असल गरज को भूल जाते है | खेती से लेकर तो एजुकेशन तक के सारे बदलावों के कारण , वहाँ का जीवन भी बहुत प्रभावित हो चुका है | कहानी के नायक तेग्या को जीवन से बहुत प्यार है , लोगों की चिंता है ,बेरड जाती के परंपरागत जीवन और उसके भविष्य की चिंता है | किताब पढ़कर तेग्या के जीवन को जानिए | इस अप्रतिम किताब को जरूर – जरूर पढिए |
धन्यवाद !
Wish you happy reading…………..
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