MADAME CURIE BOOK REVIEW IN HINDI

मैडम क्यूरी

विनोद कुमार मिश्र द्वारा लिखित

रिव्यू और सारांश –

यह किताब उस वैज्ञानिक के बारे मे है जो कई मामलों मे प्रथम रही या फिर वही रही | उनका रिकार्ड कोई तोड़ नहीं पाया | जानकारी युक्त इस किताब के लेखक है –

लेखक – विनोद कुमार मिश्र

प्रकाशन – प्रभात प्रकाशन , दिल्ली

पृष्ठ संख्या – 135

विश्व के श्रेष्ठ वैज्ञानिकों मे मानी जाने वाली मैडम क्यूरी इनको न्यूटन , गॅलिलिओ ,आइनस्टाइन , इनके समकक्ष प्रतिभावान और साहसी माना जाता था | साहसी इसलिए क्योंकि रीसर्च करते – करते उनको दोहरा मोतियाबिंद हो गया था | जिसके कारण उन्हे लगभग दिखाई नहीं देता था | लगातार काम करने के कारण उनके गुर्दे भी खराब हो गए थे | पर यह तो बहुत बाद की बात है | उसके पहले लैब का काम करने के बाद वह घर आकर खाना बनाती थी , साफसफ़ाई करती थी ,अपने बच्चों की देखभाल भी करती थी | घर के यह ऐसे काम है जो शारीरक तौर पर बहुत ज्यादा थका देते है | जिसके कारण उन्हे न के बराबर आराम मिलता था | फिर भी न तो उनके काम मे और उनकी प्रतिभा मे कोई कमी आई | वह विश्व मे फिज़िक्स मे डॉक्टरेट पाने वाली प्रथम महिला रही | फ्रांस की प्रथम ऐसी महिला जिन्हे डॉक्टरेट मिली | नोबेल पुरस्कार पाने वाली प्रथम महिला , दुबारा नोबेल पुरस्कार पाने वाली प्रथम महिला रही | सोरबोन विश्वविद्यालय की प्रथम महिला प्रोफेसर रही |

उन्होंने और उनके पती पियरे क्यूरी इन्होंने अथक प्रयासों से और संसाधनों के अभाव मे “रेडियम” की खोज की | जहां अपनी खोज पूर्ण होने के बाद सारे वैज्ञानिक उसका पेटेंट लेकर बहुत सा पैसा कमाते है | वही पर मैडम क्यूरी और उनके पति ने अपनी रेडीयम की खोज मानवता की सेवा के लिए अर्पित की जब की उनके पास पैसों की और संसाधनों की हमेशा कमी रही | उनके रेडीयम से कैंसर का इलाज होता था |

मैडम क्यूरी इस मामले मे बहुत भाग्यशाली रही की उन्हे हमेशा ही उनके भाई – बहनों का , उनके बेटियों का और ससुराल के लोगों का साथ मिलता रहा |

जब उनका जन्म हुआ तब पोलैंड , रूस के जारो के कब्जे मे था | वह पोलिश स्कूलों पर नजर रखते थे ताकी उन्मे पोलिश भाव और उनके देश के प्रति देशभक्ति उत्पन्न न हो जाए | ऐसी स्थिति मे वह अपने देश के लिए बहुत कुछ करना चाहती थी | इसलिए पढाई जरूरी थी | इसलिए उन्होंने और उनकी बड़ी बहन ब्रोन्या ने एक युक्ति लड़ाई | की एक पढ़ाई करेगी और दुसरी काम कर के उसका खर्च उठाएगी | इस तरह वह पढ़ाई के लिए फ्रांस चली गई | वहाँ पियरे क्यूरी ने उनसे शादी कर ली | अभी पोलैंड उनका मायका और फ्रांस ससुराल बन गया | उन्होंने पहले विश्वयुद्ध के दौरान अपनी तरफ से फ्रांस के सैनिकों की बहुत मदद की |

युद्ध के दौरान सैनिकों के इलाज के लिए उन्होंने एक्स – रे मशीन युक्त एम्बुलेंस तैयार की | उसे “क्यूरी कार” के नाम से जाना जाने लगा | बीच मे गाड़ी खराब हो जाती थी तो काम न अड जाए इसलिए उन्होंने मिकैनिक का काम भी सीखा | कोई भी प्रॉब्लम उनके सामने ज्यादा देर तक नहीं टिक सकती थी | पूरे विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने फ्रांस की कैसे मदद की यह आप किताब मे पढिए | आप को बहुत कुछ जानने को मिलेगा |

फ्रांस का पेरिस शहर जो फैशन हब कर के जाना जाता था | तब भी और अब भी ! ऐसे पेरिस शहर मे रहते हुए भी वह सिर्फ काले और साधे लिबास ही पहना करती | यह उनके आदर्श व्यक्तित्व को दर्शाता है |

विषम परिस्थितियों मे जन्मी और अभावों मे अपने अनुसंधान को आगे बढ़ाकर एक दिन वह नोबेल पुरस्कार जितनेवाली पहली महिला बन गई | बाद मे उन्होंने बहुत मान – सन्मान पाया | उनके इस लेगसी को उनकी बड़ी बेटी आयरीन ने आगे बढ़ाया | उन्हे भी नोबेल पुरस्कार मिला | सम्पूर्ण विश्व को अपने अनुसंधान से लाभान्वित करने वाली इस महान व्यक्ति के बारे मे जरूर पढिए | हमे लेखक को भी बहुत – बहुत धन्यवाद देना चाहिए क्योंकि उनकी वजह से हमे इतनी अच्छी किताब पढ़ने को मिली | उन्होंने ऐसे महान वैज्ञानिकों पर किताब लिखने का बीड़ा उठाया है | उनकी लिखी “लिओ नार्दो द विंन्सी” यह किताब भी हमारे “सारांश बुक ब्लॉग” पर उपलब्ध है | आप उसे भी जरूर पढिए ताकि लोगों तक ज्ञान पहुँचने के लिए लेखक जो मेहनत कर रहे है वह सफल हो जाए क्योंकी वह अपने परिवार को देनेवाला वक्त इन किताबों को लिखने मे देते है | इसलिए उनके परिवार को भी हमारा बहुत बहुत धन्यवाद !

आशा करते है ,आप इस किताब को पढ़ेंगे और अपने ज्ञान मे वृद्धि करेंगे |

धन्यवाद !

Wish you happy reading ………..

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