दो प्रेत
ओमप्रकाश शर्मा द्वारा लिखित
रिव्यू –
यह लेखक ओमप्रकाश शर्मा द्वारा लिखित एक और थ्रिलर उपन्यास है जिसमें उनके द्वारा रचित पात्र “जगन और बंदूकसिंह” अपराधियों को पकड़ते नजर आएंगे | यह दोनों “केंद्रीय खुफिया विभाग” के जासूस है | कभी-कभी तो उनके जान पर भी बन आती है फिर भी वह अपने काम से पीछे नहीं हटते और अपराधियों का पता लगाने के लिए वह साम , दाम , दंड , भेद सब का इस्तेमाल करते हैं | आखिर वह अपराधियों को पकड़ने मे सफल हो ही जाते हैं | जैसे-जैसे तहकीकात आगे बढ़ते जाती है वैसे-वैसे एक-एक किरदार कहानी में सम्मिलित होते जाता है | वह भी एक से बढ़कर एक शातिर और खतरनाक….
लेकिन इन सब की होशियारी इन दो जासूसों के सामने धरी की धरी रह जाती है | इस थ्रिलर , रहस्यमई और जासूसी किताब के –
लेखक है – ओम प्रकाश शर्मा
प्रकाशक है – राज पॉकेट बुक्स
पृष्ठ संख्या है – 119
उपलब्ध है – अमेजॉन पर
किताब में बेकारी यानी के बेरोजगारी का मुद्दा उठाया गया है | यहाँ अमीर लोग बेरोजगार नौजवानों को अपराध करने पर मजबूर कर देते है | कहानी मे ऐसे बहुत सारे पात्र है जो बेरोजगारी के चलते अपराध करते है | किताब से लेखक ने यह सिख देने की कोशिश की है की गरीब ही सही , बेरोजगार ही सही लेकिन महिला या पुरुष दोनों ने ही बुराई की राह को नहीं पकड़ना चाहिए | वैसे उनको उपन्यासों को सिर्फ जासूसी उपन्यास समझने की भूल मत कीजिएगा | वह सामाजिक भी होते है जिनमे वह समाज मे व्याप्त समस्याओ को उपन्यास के माध्यम से पाठकों के सामने लाने की कोशिश करते है |
सारांश –
“कावेरी” नाम की महिला का पति अचानक गायब हो जाता है | वह इसका इल्जाम “विक्रमपुरी” के सिंचाईमंत्री “जगेशचंद्र” पर लगाती है | इस बात को अपोजिशनवाले विधानसभा में उछालते हैं तो दिल्ली से “केंद्रीय खुफिया विभाग” यानी सीबीआई के दो जासूसों को मामले की तहकीकात करने भेजा जाता है जिनका नाम है “जगन और बंदूकसिंह” |
वह सबसे पहले तो विक्रमपुरी के पुलिस स्टेशन में जाकर पूछताछ करते हैं क्योंकि वहां के इंस्पेक्टर ने कावेरी की रिपोर्ट लिखने से मना कर दिया था | वहां पर पूछताछ करने से उन्हें जगेशचंद्र के बारे में पता चलता है | उनको यह भी पता चलता है कि कावेरी और उसका पति “बाबूसिंह” , जगेशचंद्र” के यहां नौकरी करते थे |
जगेशचंद्र गरीब बेरोजगार लोगों को नौकरी के बहाने अपने पास काम पर रखता था और उनका अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करता था | उनमें से ही एक थी कावेरी और उसका पति बाबूसिंह | एक बार बाबूसिंह ने उसका काम करने से मना कर दिया | बस क्या ? उसके दूसरे ही दिन बाबूसिंह गायब हो गया |
जगेशचंद्र पर इल्जाम लगाने के बाद कावेरी की जान को खतरा था | इसलिए अपोजिशन पार्टी के चंद्रकांतजी ने उसे अपने घर पर बेटी की तरह रखा | जगन और बंदूकसिंह ,कावेरी और चंद्रकांतजी से भी पूछताछ करते हैं | इस केस की तहकीकात तक जगेशचंद्र को पार्टी से निलंबित कर दिया जाता है |
पुलिस ने उसे सरकारी कोठी में नजरकैद किया है | इस केस की तहकीकात के लिए जगन और बंदूकसिंह की मदद के लिए इंस्पेक्टर “फ़ीद्दे मियां” को नियुक्त किया गया है | आप उनके नाम पर मत जाइएगा | यह बहुत काम के इंसान है और होशियार भी …. कावेरी को लगता था कि जगेशचंद्र ने बाबूसिंह को मार कर कोठी में ही कहीं गाड़ दिया है |
इसलिए “फ़ीद्दे मियां” , चेतसिंह नाम के हवलदार को और 5- 6 लोगों के साथ माली बनाकर जगेशचंद्र की सरकारी कोठी पर भेजता है ताकि वह पौधे लगाने के बहाने जमीन की खुदाई कर लाश का पता लगा सके |
जगेशचंद्र की स्टेनोग्राफर “लतिका” से इन दोनों को “झाऊमल” नाम के व्यक्ति का पता चलता है | अब “झाऊमल” कौन है ? कैसा है ? यह दोनों उससे क्या बात करते हैं ? यह आप किताब मे ही पढ़ लीजिएगा |
“झाऊमल” से मुलाकात के बाद इन दोनों को उनके होटल के कमरे से अगवा करने का प्लान बना लिया जाता है | इसके लिए “प्यारी” नाम के लड़की को 3 से 4 युवकों के साथ काम पर लगा दिया जाता है | “प्यारी” का असल नाम “स्वर्णलता” है | बहेरहाल , यह दोनों “स्वर्णलता” के जाल में नहीं फँसते |
जैसे ही वह इन दोनों पर हमला करने के लिए हथियार निकालती है | वैसे ही सतर्क “फ़ीद्दे मियां” उससे वह हथियार छीन लेते हैं और उसे महिला पुलिस के हवाले कर देते हैं | पुलिस के टॉर्चर के डर से ही वह सब कुछ बताने के लिए तैयार हो जाती है |
“प्यारी” यानी के “स्वर्णलता”, “दादा” के बारे में जानकारी देती है | वह बहुत बड़ा अपराधी है | उसकी पहुंच बहुत ऊपर तक है | प्यारी की जानकारी के आधार पर “दादा” के घर पर छापा मारा जाता है | वहां उन्हें बहुत से अवैध खतरनाक हथियार , कुछ नशीली और जहरिली दवाइयां मिलती है |
उस घर की मालकिन “स्नेहप्रभा” उर्फ “हीरोइन” के दादा संग संबंध है | इसलिए उसे भी गिरफ्तार कर लिया जाता है | इसके पहले “प्यारी” ,”दादा” को “बंदूकसिंह” के हाथों गिरफ्तार करवाने में कामयाब हो जाती है क्योंकि प्यारी की जान को अभी दादा से खतरा है |
“स्नेहप्रभा” अपनी कहानी बताते हुए “दादा” के खिलाफ बयान देती है | “झाऊमल” की जानकारी भी प्यारी के मार्फत मिल जाती है | उस पर कड़ी नजर रखी जाती है | झाऊमल और जगेशचंद्र के व्यावसायिक और आपराधिक दोनों रिश्ते हैं | उनके लिए काम करनेवाला व्यक्ति है “दादा” जिसके हाथ के नीचे चाकूसिंह , प्यारी , हीरोइन और बहुत सारे बेरोजगार नौजवान है जो सिर्फ कुछ रुपयों के लिए अपराध करते है |
ऐसे ही सिर्फ कुछ रुपयों के लिए “जगन और बंदूकसिंह” पर अदालत में “दादा” को ले जाते समय एक नौजवान हमला करता है | वह तो उसकी किस्मत अच्छी रहती है कि वह लोग बच जाते हैं | “दादा” को लोग “डॉक्टर” भी कहा करते थे क्योंकि वह नशीली और जहरीली दवाइयां बनाने का काम भी करता था जो इंसान के दिमाग पर बहुत बुरा प्रभाव डालती थी |
इन्हीं दवाइयां के असर मे , एक खंडहर में इन दो जासूसों को दो व्यक्ति मिलते हैं जो पूरी तरह “प्रेत” लगते हैं | वह जिंदा होकर मुर्दा लगते है | इसलिए शायद इस किताब का नाम होगा “दो प्रेत” | यहीं पर आकर उनकी तफतीश खत्म होती है | तो कौन है यह दो लोग ?
आखिर बाबूसिंह का क्या होता है ? क्या जगेशचंद्र का गुनाह साबित होता है ? क्या उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है ? कावेरी , स्वर्णलता और स्नेहप्रभा का क्या होता है ? स्वर्णलता तो बंदूकसिंह से प्रेम भी करने लगती है | तो क्या बन्दूकसिंह उससे शादी करेगा ?
पर वह तो उसे लिए बगैर ही जा रहा है | क्या वह उसे लेने वापस आएगा ? पढ़कर जरूर जानिए | लेखक की बहुत सारी किताबों का रिव्यू हमारी वेबसाईट “सारांशबुकब्लॉग्स” पर उपलब्ध है | उनमे से कुछ का लिंक हम निचे शेयर कर रहे है | जरूर पढे | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते हैं और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए ….
धन्यवाद !!