NOSTRADAMUSCHI BHAVISHYVANI REVIEW

नास्त्रेदमसची भविष्यवाणी

रिव्यु –

     नास्त्रेदमस एक ऐसी शख्सियत है जो अपने ज़माने में भी प्रसिद्ध थे और अभी तो वह अपने मरने के ४०० साल बाद भी उससे कई ज्यादा प्रसिद्ध है | ऐसा क्या किया है इन्होने जो वह उनके मरने के इतने सालो बाद भी प्रसिद्ध और प्रसिद्ध होते ही जा रहे है |

आइये तो उनके बारे में कुछ जानकारी हम आप के साथ शेयर करते है |

नास्त्रेदमस ने अपने बारे में कुछ नहीं लिखा | उनके शिष्य की लिखी किताबो से उनके बारे में जानकारी मिलती है | नास्त्रेदमस एक तज्ञ डॉक्टर के साथ – साथ अव्वल दर्जे के ज्योतिषशास्त्री भी थे | उनको खगोलशास्त्र, गणित का बहुत ही अच्छा ज्ञान था | इसके साथ – साथ उन्हे लैटिन , फ्रेंच , ग्रीक और भी कई भाषाओ का अच्छा ज्ञान था | उन्होंने अपने इस ज्ञान के आधार पर दुनिया में घटनेवाली बहुत सी घटनाओ की भविष्यवानिया की है |

      जिसमे से बहुत सारी सच हो चुकी है जो इतिहास के रूप में घटनाओ के रूप में दर्ज है | नास्त्रेदमस ने उनकी मृत्यु के कई सालो बाद तक होनेवाली घटनाओ का विवरण जस का तस लिखकर रखा है | यही उनका “सेंचुरिज” नाम का ग्रन्थ है जिसमे हर एक अध्याय में उन्होंने १०० चतुष्पदी ( चार लाइन की कविता ) लिखी है | उन्होंने १०० कविता ( हर कविता में चार लाइन ) का एक अध्याय , ऐसे उन्होंने दस अध्याय लिखे है | ११ वा और १२ वा अध्याय अधुरा है | हो सकता है की वह इसके पहले ही स्वर्ग सिधार गए हो | ऐसा लेखक और बाकी समीक्षकों का मानना है |

इस किताब में लेखक ने नास्त्रेदमस का परिचय दिया है तथा उनके द्वारा लिखित ग्रन्थ “सेन्चुरिज” जो ओरिजनली फ्रेंच और अन्य भाषाए मिलकर लिखा है | उसके बारे में जानकारी दी है | इसी किताब को “प्रोफेसिज ऑफ़ माइकेल नास्त्रेदमस” इस नाम से भी जाना जाता है | उन्होंने इस किताब में जो भविष्यवाणीया लिखी है वह उनके कौनसे शतक की है और कौनसे नंबर की चतुष्पदी है इसका उन्होंने ब्यौरा दिया है | मराठी अनुवाद के साथ – साथ उस पहेली के साथ जुडी घटनाओ का भी लेखक ने बहुत अच्छा विवरण दिया है | अलग – अलग समीक्षकों ने अलग –अलग घटनाओ के साथ उनका सम्बन्ध बताया है | लेखक ने इन चीजो को समझाने के लिए अपनी तरफ से बहुत – बहुत अच्छी कोशिश की है |

आइये अब लेखक का परिचय आप लोगो से करवाया जाये ताकि उनके शिक्षनिक योग्यता का स्तर किताब पढ़ते वक्त आप को महसूस हो | वैसे उनके बारे में विस्तार से जानकारी आप को किताब के शुरुवात में ही मिल जाएगी फिर भी उसका संक्षिप्त रूप हम आप को बताये देते है |

डॉ. सुरेशचंद्र नाडकर्णी इनका जन्म २४ दिसंबर १९२९ को हुआ | उन्होंने पुणे के वाडीया कॉलेज में , प्राणिशास्त्र विभाग में २० साल से भी ज्यादा पढाया है | उन्होंने १० – १२ साल तक साँप और कीटको पर अध्ययन कर के जूलॉजी पर १५ से ज्यादा किताबे लिखी है | वे बहुत सारे खेलो में पारंगत थे | उन्हें बहुत सारे सम्मान मिले है | मराठी , हिंदी ,उर्दू ,इंग्रजी इन चारो भाषाओ में क्रिकेट कमेन्ट्री करनेवाले वे अकेले ही समीक्षक थे |

उन्होंने संगीत – गायन भी सिखा | अलग – अलग वाद्ययंत्र बजाना सिखा | उन्होंने काव्य और ग्रन्थ दोनों लिखे | उन्हें फलज्योतिष , हस्त सामुद्रिक , हस्ताक्षर इनका ज्ञान होने के साथ – साथ वे बेहतरीन फोटोग्राफर भी थे | उनमे और भी बहुत सारे गुण थे जिसके बारे में आप को किताब के शुरुवात में ही पढ़ने को मिल जायेगा | इनका परिचय पढ़कर हमें लगा की यह दुसरे लियो नारदो द विंसी ही है क्योंकि उनका भी ऐसे ही बहुआयामी व्यक्तित्व था |

इन्हें फ्रेंच भाषा का ज्ञान होने की वजह से इस किताब के लिए बहुत मदद हुई | नास्त्रेदमस की यह बुक ओरिजनली फ्रेंच भाषा में लिखी है जिसके लिए पुराने फ्रेंच भाषा का ज्ञान होना आवश्यक था | प्रस्तुत किताब के लेखक – डॉ. सुरेशचंद्र नाडकर्णी

प्रकाशक – मेहता पब्लिशिंग हाउस ,

पृष्ठ संख्या – १३६

सारांश –

     नास्त्रेदमस फ़्रांस में रहते थे और ज्यू धर्मीय थे | इसीलिए शायद उन्होंने अपनी भविष्यवाणी में हिटलर के नाम के साथ भविष्यवाणी की है | बाकि सारा इतिहास तो जगजाहिर है | नास्त्रेदमस ने जानबूझकर अपनी इन भविष्यवानियो को पहेलियो में लिखा है ताकि वह खुद और उनका यह ग्रन्थ धर्मसत्ता और राजसत्ता से सुरक्षित रह सके |

इसका पता उनके द्वारा लिखे गए पत्र से लगता है जिसे उन्होंने अपने बड़े बेटे सेजर को लिखा था जिसका ओरिजिनल वर्जन पेरिस के राष्ट्रीय ग्रंथालय में कांच के अलमीरा में बहुत ही अच्छी परिस्थिति में रखा है | उन्होंने अपना यह ग्रन्थ पहेलियो में लिखा ताकि कोई साधारण इन्सान इसे न समझ पाए | जो भी इसे समझेगा वह अव्वल दर्जे का बुद्धिमान होगा | वैसे भी नास्त्रेदमस ने अपनी दिव्यदृष्टि से यह देख लिया था की आगे आनेवाली पीढ़िया बहुत हुशार होगी और उनके विचार बहुत प्रगल्भ होंगे |

फिर हम सबको यह प्रश्न पड़ता है की वह इतनी सारी भविष्यवानिया करने में सफल कैसे हुए ? इसका आधा जवाब हमें उनके बचपन में मिल जाता है | उनके दादाजी भटकनेवाले ज्यू जमाती के थे जिनके पास पीढ़ी दर पीढ़ी चलते आयी ऐसी बहुत सारी गूढ़ विद्याये थी | उनके नानाजी ज्यू डॉक्टर होने के साथ – साथ निष्णात ज्योतिषी भी थे | उनके पास अनेक गूढ़ ग्रन्थ भी थे जो जेरुसलेम के प्राचीन मंदिर के थे |

इसीलिए नास्त्रेदमस के पास बहुत सारी गूढ़ विद्याये थी | इसीलिए वे अपनी विद्याओ द्वारा भविष्य में घटनेवाली घटनाओ को देख सकते थे ऐसे जैसे की वह कोई फिल्म देख रहे हो | देखि हुई घटनाओ को अपने ज्योतिष गणित से चेक करने के बाद ही वह फिर भविष्यवाणी किया करते | यह सब वह दैवी शक्ति की मदद से किया करते ऐसा उन्होंने स्पष्ट तौर से लिख कर रखा है |

उनके बारे में सब जानकारी उनके शिष्य द्वारा लिखी गई किताबो से मिलती है जिनका नाम डॉ. जीन एम्स द शोव्हिनी था | वह ब्यूने शहर के महापौर थे | उन्होंने खुद ब्रह्मज्ञान में डॉक्टरेट हासिल की थी | उन्होंने नास्त्रेदमस की १२ सालो तक सेवा की | इन्होने ही सेन्चुरिज का पहला भाग – प्रोफेतिस द माइकेल नास्त्रेदमस इस नाम से छपवाया |

उन्होंने भारत देश से जुड़े लोगों की भविष्यवानिया की जैसे की झाँसी की रानी , नेताजी सुभाषचंद्र बोस , माननीय श्रीमती इंदिरा गांधी और उन के पिता याने हमारे चाचा नेहरु इनसे सम्बंधित भविष्यवाणीयां नास्त्रेदमस के सेन्चुरिज ग्रन्थ में मिलती है | वैसे ही नेपोलियन बोनापार्ट ,हिटलर , इटली का मुसोलिनी इनके बारे में भविष्यवानिया मिलती है | इन सब भविष्यवाणियों को सुनकर लोग दातो तले उंगली दबा लेते है |

पृथ्वी गोल है और सूर्य के इर्द – गिर्द चक्कर काटती है | इस सिद्धांत को ग्यालिलियो के १०० साल पहले कोपरनिकस ने बताया और कोपरनिकस के भी १०० साल पहले नास्त्रेदमस यह जानते थे | इसी के आधार पर उन्होंने की गई भविष्यवानियो की गणना भी की थी |

कुल मिलकर यह किताब बहुत अच्छी है जो आप को इस महान ज्योतिषी एवं डॉक्टर के बारे में थोडा परिचय करवाने में कामयाब रहेगी |

आप इस किताब को जरूर – जरूर पढ़े |

अगर आप को माइथोलॉजी की कहानियाँ सुनना अच्छा लगता है तो इसी यूट्यूब चनल के पॉडकास्ट पर आप उन्हे सुन सकते है |मिलते है और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए धन्यवाद |

Wish you happy reading…….

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