KALPVRUKSHACHI KANYA BOOK REVIEW HINDI

कल्पवृक्षाची कन्या

रिव्यू –

सबसे पहले तो कल्पवृक्ष के बारे मे बता देते है | कहते है की यह वृक्ष समुद्रमंथन से निकला हुआ है और यह स्वर्ग के देवताओ के हिस्से मे आया है | यह वृक्ष सारी ईच्छाए पूरी करता है |

प्रस्तुत किताब भारतीय पुरानो से जुड़ी हुई है | इस किताब के माध्यम से पुरानो मे वर्णित दमदार और कर्तव्यशील स्त्रिया एक – एक कर आप से मिलने आएगी | यह ऐसी स्त्रिया है जिन्होंने पुरुषप्रधान संस्कृति मे भी अपना अस्तित्व बनाए रखा | मूलतः यह किताब स्त्री – शक्ती के बारे मे बताती है | भारतीय साहित्यों के रचना काल मे कर्तव्यदक्ष और हुशार स्त्रियों को भी दुय्यम दर्जा मिला | प्रस्तुत किताब पढ़ने के बाद आप को पता चलेगा की –कहानी मे जीतने भी नायक है वह कहानी के नायक ही नहीं बनते अगर उनकी नायिकाये उनका साथ नहीं देती | प्रस्तुत किताब की लेखिका है –

लेखिका – सुद्धा मूर्ती

मराठी अनुवाद – लीना सोहोनी

प्रकाशक – मेहता पब्लिशिंग हाउस

पृष्ठ संख्या – 180

सारांश –

     सबसे पहले किताब मे त्रिदेवियों की कहानी है जो त्रिदेवों के काम मे उनकी मदद करने के लिए आयी है जैसे की ब्रह्मांड की रचना करने के लिए ब्रह्मदेव का साथ दिया माँ सरस्वती ने , जगत के पालनहार की सहायता की माँ – लक्ष्मी ने और भोलेनाथ की संगिनी बनी माँ – पार्वती |

बाद मे है नल – दमयन्ती की कहानी…………

दमयन्ती – एक अद्वितीय सुंदरी .. जिसने देवताओ को मना कर के नल के साथ शादी की और रानी होते हुए भी असंख्य दुःख झेले | फिर है वासवदत्ता और उदय नयन की कहानी , सबके पापों को धोने वाली गंगा नदी की कहानी और इसी गंगा नदी को अपने तपोबल से धरती पर बुलाने वाले सगर के वंशज भागीरथ की कहानी है | स्वर्ग की सबसे सुंदर अप्सरा उर्वशी एक मानव कन्या होने के साथ – साथ हस्तिनापुर के महाराज पुरुरवा की पत्नी भी थी |

           उन दोनों के जीवन की कहानी ,विश्व का सबसे पहला क्लोन बनाने वाली सूर्यदेव की पत्नी संजना की कहानी और रावण की पत्नी मंदोदरी के पूर्व जन्म की कहानी है | ऐसे ही भगवान विष्णु के अवतारों से जुड़ी कहानिया है जिसमे जगन्नाथ पूरी की भी कहानी है | जहां आज भी वहाँ का राजा सोने के झाड़ू से भगवान जगन्नाथ का रथ साफ करता है | अब इसकी क्या रोचक कहानी है यह आप किताब मे पढिए |

सबसे अच्छी कहानी हमे वह लगी जिसका नाम है – “विस्मरणात गेलेली पत्नी” | यह कहानी है – अद्वैत वेदान्त विद्यालय के संस्थापक आदि शंकराचार्य इनकी और उनकी पत्नी भामती की | इस कहानी की सबसे अच्छी बात यह है की जो ग्रंथ लिखते – लिखते आदि शंकराचार्य जवान से बूढ़े हो जाते है | उस ग्रंथ को अपने पत्नी का नाम देते है जब उन्हे पता चलता है की उनके पत्नी ने सारी उम्र उनकी निस्वार्थ सेवा की है |

     यह पुरुष प्रधान संस्कृति मे बहुत बड़ी बात है की एक पुरुष अपने पत्नी के त्याग को समझकर उसे स्वीकार कर रहा है | अमूमन ऐसे अच्छे विचार विद्वानो के ही हो सकते है जो स्त्रियों के अस्तित्व को उनके जीवन मे स्वीकार कर अपनी जीत मे उनका भी हिस्सा मानते है | इसमे च्यवन ऋषि की कहानी है जिससे आप को पता चलेगा की इम्यूनिटी बूस्टर का नाम च्यवनप्राश कैसे पड़ा ?

आखिर मे है हाथी पर बैठी माँ – पार्वती की पूजा करने की कथा | माँ – पार्वती जब अकेली रहती है | अकेली मतलब – आज के जैसे ही कोई होम मेकर दोपहर को अकेली रहती है जब उनके पति ऑफिस और बच्चे स्कूल जाते है वैसे ही भोलेनाथ तप करने चले जाते है | उनके बड़े बेटे कार्तिकेय जी देवताओ के सेनापति है तो अपना दायित्व निभाने और छोटे बेटे गणेश जी अपने भक्तों की समस्याए सुलझाने मे व्यस्त रहते है | ऐसे मे अपना अकेलापन बाटने के लिए उन्हे एक बेटी की जरूरत महसूस होती है |

     तो वह अपनी यह इच्छा कल्पवृक्ष के पास कहती है | उनकी यह इच्छा पूरी हो जाती है | उन्हे एक सुंदर सी कन्या मिल जाती है | अब वह अपने बेटी के साथ सुख का समय बिताती है | पुरानो की कहानिया वैसे भी अच्छी ही होती है | बच्चों को सुनाने के लिए भी यह कहानिया अच्छी है | ताकि बचपन से ही वह हमारे पुरानो के पात्रो से अवगत हो जाए | किताब हमे तो अच्छी लगी | आशा करते है आप को भी अच्छी लगेगी |

धन्यवाद !

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