TRICK BOOK REVIEW AND SUMMARY IN HINDI

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रिव्यू – Read more 
ट्रिक वेद प्रकाश शर्मा द्वारा लिखित एक थ्रिलर और जासूसी उपन्यास है | वह भारत के सबसे ज्यादा बिकने वाले लेखक है | वैसे तो उनके कहानियों के पात्रों में से ही कोई ना कोई ऐसा होता है जो केस सॉल्व कर के असली मुजरिम तक पहुंच जाता है और फिर वह कैरेक्टर वही तक सीमित रह जाता है |
परंतु प्रस्तुत उपन्यास के पात्र विजय , विकास है जो भारतीय खुफिया एजेंसी के जासूस है | इसीलिए उनके पात्र एक ही उपन्यास तक सीमित नहीं | जब-जब यह नए मिशन पर जाएंगे | उस मिशन पर एक अलग उपन्यास लिखा जाएगा |
इसीलिए लेखक द्वारा लिखे और भी किताबों में इनके दर्शन हो सकते हैं | लेखक के और भी उपन्यासों के रिव्यूज और सारांश हमारी वेबसाइट “सारांश बुक ब्लॉग ” पर आपको मिल जाएंगे | जैसे की “चक्रव्यूह, वर्दी वाला गुंडा , शाकाहारी खंजर , मदारी इत्यादि |
लेखक की जानकारी भी उसी में आपको मिलेगी | लेखक एक प्रसिद्ध हस्ती रहे है | उनकी किताबों को खूब पसंद किया गया है | जब उनके उपन्यास प्रकाशित होते थे तो लोगों के ढेर सारे पत्र उन्हें प्राप्त होते थे | इन पत्रों के द्वारा उन्हें ढेर सारा प्यार और लोगों की राय भी पता चलती थी | जिन्हे वह अपनी आने वाली किताबों में अप्लाई करते थे |
उनके उपन्यास वाकेही लाजवाब है | उनके उपन्यासों मे आप आखिर तक कातिल को ढूंढ ही नहीं पाते | इसीलिए फिर वह भी किताबों के जरिए लोगों से रूबरू होते थे | उनके बहुत से किताबों में पाठकों के लिए उनका संदेश मिलेगा | कभी-कभी इन संदेशों से उस वक्त की स्थिति भी स्पष्ट हो जाती थी |
उनकी किताबे आज भी पढ़ने लायक है | शायद इसीलिए वह महंगी बिकती है | हमारे द्वारा पढ़ी गई विजय विकास सीरीज की यह पहली ही किताब है | प्रस्तुत उपन्यास विश्व के ताजा हालात को दर्शाता एक सच्चा दस्तावेज है | इसमें “विजय विकास ग्रुप” आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए मैदान में उतरे हैं | इनका टकराव पाकिस्तानी जासूस “नुसरत और तुगलक” के साथ होता है | इस रोचक टकराव को यह दर्शाया गया है |
प्रस्तुत किताब के –
लेखक है – वेद प्रकाश शर्मा
प्रकाशक है – तुलसी पेपर बुक्स
पृष्ठ संख्या है – 131
उपलब्ध है – अमेजॉन पर

प्रस्तुत उपन्यास को पढ़ने के बाद आपका दिमाग हिल जाएगा | लेखक के अनुसार वैसे तो कहानी के पात्र और घटनाएं काल्पनिक है लेकिन वास्तविकता का एहसास कराती है | कहानी जासूसी जगत पर आधारित है जहां हर देश की जासूसी संस्था के लोग एक दूसरे को जानते हैं |
वह अपने सिद्धांतों पर चलते हैं की जासूस को सिर्फ कैद किया जाए | उन्हें तब तक जिंदा रखा जाए जब तक उन्हें मारे बगैर काम चल सकता है क्योंकि वह भी अपने देश के लिए ही काम कर रहे होते हैं | इसमें उनकी गलती कहाँ ? यही सिद्धांत बाबू देवकीनंदन खत्री द्वारा लिखित किताबों के पात्रों के मध्य भी देखा जा सकता है |
किताब की कहानी भारत , पाकिस्तान और अमेरिका की पृष्ठभूमि लिए हुए हैं | पहले तो कहानी बिखरी – बिखरी मालूम होती है | उसके बाद सब के तार एक के साथ एक मिलने लगते हैं | आईए , देखते हैं इसके सारांश में क्या है ?
सारांश –
सबसे पहले भारतीय सीक्रेट सर्विस के जासूस और इस किताब के मुख्य किरदार “विजय विकास” का परिचय जान लेते हैं | धरती पर आज जो भी जासूस नाम कमा रहे हैं | उनमें से ज्यादातर जैकी के शिष्य रहे हैं | जैकी की अमेरिका में जासूसों को ट्रेनिंग देने वाली संस्था है | इसी से उसे “जासूसो का देवता” कहा जाता है | जैकी की पत्नी जूलिया अमेरिकन सीक्रेट सर्विस की चीफ है | इन दोनों का बेटा है “हैरी आर्मस्ट्रांग”|
यह 20 साल का है और जासूस है | चूंकि विजय विकास ने जैकी के पास से ही ट्रेनिंग ली है | तो विकास और हैरी मित्र है | दोनों हम उम्र है | दोनों देशभक्त है | देश के लिए जान भी दे सकते हैं | नुसरत और तुगलक पाकिस्तान के नंबर एक के जासूस है | दोनों बेवकूफ़ो जैसी बाते करते हैं लेकिन इन्हीं बातों से सामने वाले पर हावी हो जाते हैं |
विजय विकास मगर इन दोनों को अपनी जेब मे रखते है | विकास बलिष्ठ शरीर के मालिक है | ब्रह्मचारी है | बजरंगबली के भक्त हैं | पहले वह भारतीय खुफिया सर्विस के चीफ थे | पर उनको टेबल ड्यूटी अच्छी नहीं लगती थी | उन्हें फील्ड वर्क पसंद था | इसलिए उन्होंने अपने चाचा के बेटे और उनके जूनियर अजय को भारतीय सीक्रेट सर्विस का हेड बना दिया और खुद उसके अंडर काम करने लगे |
विजय ठाकुर साहब का बेटा है | ठाकुर साहब पुलिस विभाग में बहुत बड़े ओहदे पर है | विजय और उनके पापा ठाकुर साहब की बिल्कुल नहीं पटती | इसका कारण यह है कि विजय नहीं चाहते कि उनके माता-पिता को पता लगे कि वह अव्वल दर्जे के खुफिया एजेंट है | नहीं तो ! उनके माता-पिता की जान को खतरा हो जाएगा | इसीलिए वह उटपटांग हरकतें कर के खुद को बेवकूफ साबित करते रहते हैं |
उनके इन्ही हरकतों की वजह से उनके पिता उनसे चिढ़ते हैं | इसी चीढ़ के कारण ठाकुर साहब ने उनको घर से निकाल दिया है | यही तो विजय चाहते थे ताकि अलग रहकर वह अपना काम आसानी से कर सके | वह खुद को एक प्राइवेट जासूस के रूप में विख्यात कर रहे हैं ताकि कभी किसी मुजरिम का पीछा करते वक्त वह दिखाई पड़े तो कोई उनसे सवाल ना करें |
विजय के चाचा की बेटी “रैना ” की शादी इंस्पेक्टर रघुनाथ से हुई है | रघुनाथ विजय के मित्र है और ठाकुर साहब के अन्डर काम करते हैं | विकास इन्हीं का बेटा है | विकास अपना गुरु अपने अंकल विजय को मानता है | अब विकास के परिवार के सारे लोग देश सेवा में है ! तो विकास कैसे बाहर रह सकता है ? सो उसने भी भारतीय सीक्रेट सर्विस ज्वाइन कर ली है |
कहानी राजनगर के हरशरण शास्त्री से शुरू होती है | वह राजनगर का भ्रष्ट , रिश्वतखोर विधायक है | लेकिन उसकी पहुँच इतनी है कि मुख्यमंत्री को भी उसकी बात माननी पड़ती है | इसी वजह से अजीत अवस्थी नाम का आई ए एस ऑफिसर अपनी पत्नी निशा के साथ हरशरण शास्त्री से मिलने आता है ताकि वह उसका तबादला किसी जिले में कर दे |
हरशरण शास्त्री उसे राजनगर का डी. एम बना देता है लेकिन इसकी बहुत भारी कीमत वह अजीत अवस्थी और उसकी पत्नी निशा से वसूल करता है | इससे चिढ़कर अजीत अवस्थी हरशरण शास्त्री का खून कर देता है |
तब जब हरशरण शास्त्री मोहम्मद इकराम को पाकिस्तान बॉर्डर के पास असलम के हाथों सौंपकर वापस अपने घर जा रहा होता है | मोहम्मद इकराम जम्मू का मंत्री है | वह जातिवाद से ऊपर उठकर सिर्फ भारतीयों का नेता बनना चाहता है | सब तरफ अमन और खुशहाली का वातावरण देखना चाहता है | इन्हीं मनसूबों के चलते वह भाषण में ऐसा कुछ कहता है कि जनता भड़क उठती है |
धर्म के नाम पर दंगे भड़क उठते हैं | अब मोहम्मद इकराम की सिक्योरिटी का जिम्मा विकास के पिता इंस्पेक्टर रघुनाथ को मिलता है | उनके काफिले पर जोरदार हमला हो जाता है | रघुनाथ अपना कर्तव्य निभाने में असफल होते हैं | परिणाम ! मोहम्मद इकराम घायल होकर दुश्मनों के हाथ लग जाता है | वह लोग उसे किडनैप कर के पाकिस्तान पहुंचाते हैं ताकि वह उनके मुताबिक भाषण दे सके जिससे भारत में और दंगे भड़के |
इन्हीं “मोहम्मद इकराम” को छुड़ाने के मिशन पर है विजय विकास | इसके पहले , न्यूयॉर्क में एक प्लान के तहत हैरी का भी अपहरण हो जाता है | उसे भी पाकिस्तान पहुंचाया जाता है | उसे वहाँ के सीक्रेट सर्विस के तहखाने में रखा जाता है |
वहां से वह अपनी होशियारी और बहादुरी से पाकिस्तान बॉर्डर तक पहुंच जाता है | वहां से भारतीय बॉर्डर तक | वहाँ उसकी मदद भारतीय बॉर्डर पर तैनात सैनिक करते हैं और इस तरह एक महत्वपूर्ण इनफॉरमेशन के साथ हैरी , भारत में विजय विकास तक पहुंचता है |
क्या है वह महत्वपूर्ण जानकारी ? तो भारतीय प्रधानमंत्री जब शिखर वार्ता के लिए पाकिस्तान जाएंगे , तब “मारकेश” नाम का व्यक्ति उनकी हत्या कर देगा | हालांकि , पहले वह पाकिस्तानी राष्ट्रपति की तरफ निशाना लगाएगा .. पर मारेगा भारतीय प्रधानमंत्री को ! और कहेगा कि यह गलती से हो गया !
इधर पाकिस्तान भी यह कहकर पीछा छुड़ा लेगा कि अपने मेहमानों की सुरक्षा करना हमारा कर्तव्य है | अब प्रधानमंत्री के पाकिस्तान पहुंचने के पहले वहां की परिस्थितियों को उनके लिए सुरक्षित बनाना विजय विकास का काम है |
इसीलिए अंततः दोनों ही पाकिस्तान पहुंच जाते हैं | वहां “नजमा” नाम की एजेंट उनकी मदद करती है | वहां इन तीनों को मारने के लिए “असलम” नाम का एजेंट मानव बम बनकर आता है | यह वही एजेंट है जिसके संपर्क में हरशरण शास्त्री था |
इस तरह हरशरण शास्त्री भ्रष्टाचारी पॉलिटिशियन के साथ-साथ देशद्रोही भी था | असलम इन तीनों को मारने के लिए आता है क्योंकि नुसरत और तुगलक ने उसके पास दूसरा रास्ता छोडा ही नहीं |
उनका यह प्लान “अलफांसे” की वजह से चौपट हो जाता है | अब इस पात्र की डिटेल जानकारी इस किताब में नहीं है | सिर्फ इतना पता है कि यह विजय का मित्र है | इन लोगों को मोहम्मद इकराम तक पहुंचना है | इसलिए यह नजमा को संगीता बनाकर उसके प्रियकर को फोन करते हैं | संगीता का प्रियकर एक डॉन है | इसीलिए उसके ठिकाने पर कड़े पहरे हैं |
कोई भी वहां तक आसानी से नहीं पहुंच सकता | इसलिए यह लोग संगीता का सहारा लेते हैं | संगीता बॉलीवुड की नंबर एक हीरोइन है | संगीता का प्रियकर “राउंड हाउस” में रहता है | इसी राउंड हाउस में मोहम्मद इकराम भी कैद है |
यह लोग मोहम्मद इकराम को बचा नहीं पाते | कुछ परिस्थितियों के चलते वह आत्महत्या कर लेता है | यह लोग भी उस डॉन के हाथों कैद हो जाते हैं | अब इन लोगों को छुड़ाने के लिए हैरी पाकिस्तानी सीक्रेट सर्विस का चीफ बनकर इन चारों को वहां से छुड़ा ले जाता है |
अब इतनी बड़ी गलती पर नुसरत और तुगलक इस डॉन को कैसे माफ कर दे ! जबकि उन्होंने हैरी के भाग जाने वाली छोटी गलती पर चीफ की नाक काट दी थी | अब यह दोनों उसके साथ क्या सलूक करेंगे ? यह सोच – सोच कर ही उसका हलक सूखा जा रहा था | परिणाम ! दूसरे को अपनी उंगली पर नचानेवाला खुद ही दूसरों के इशारे पर नाचनेवाला बन जाता है |
इन दोनों के खौफ से वह आत्महत्या कर लेता है क्योंकि नुसरत और तुगलक यही चाहते हैं | लेकिन क्यों ? क्यों वह अपने ही आदमियों को खत्म करना चाहते हैं ? इसका खुलासा आपको किताब के अंत में मिलेगा कि उन लोगों की असली ट्रिक क्या थी ?
बहरहाल , डॉन की कैद से छुटकर यह लोग जब एक साथ रह रहे होते हैं तब विकास को यह पता चलता है कि , अलफाँसे की शक्ल में उनके साथ मारकेश है | यह पता चलते ही विकास उसको खत्म कर देता है |
लेकिन क्या मारकेश जैसा कुख्यात किलर इतनी आसानी से खत्म हो जाएगा | बिल्कुल भी नहीं ! इसका पता नुसरत और तुगलक की बातों से चलता है | मारकेश समझ कर विकास ने जिसको मारा वह आत्मघाती दस्ते का आदमी था | तो फिर असली मारकेश है कहा ? और क्या भारत देश के प्रधानमंत्री की जान अभी भी खतरे में है ?
क्या विजय विकास इसी गलतफहमी में रहेंगे और अपने मिशन में नाकामयाब हो जाएंगे ? या फिर जिनके नाम से सारे लोग थर्राते हैं | ऐसे विजय विकास क्या वक्त रहते इस षड्यंत्र को समझ पाएंगे ?
पढ़कर जरूर जानिए | बहुत ही उम्दा उपन्यास | बहुत बढ़िया कहानी | जरूर जरूर पढ़िए | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते हैं और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए -धन्यवाद !!

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