रिव्यू –
लेखक है – ओम प्रकाश शर्मा
प्रकाशक – नीलम जासूस कार्यालय
पृष्ठ संख्या – 101
उपलब्ध – अमेजॉन पर
लेखक अपने लेखन से लोगों के बीच जनप्रिय बन गए और फिर वह जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा के नाम से ही प्रसिद्ध हुए | ज्यादातर वह जासूसी उपन्यास ही लिखते थे | वह एक उत्कृष्ट उपन्यासकार भी थे | अतः उन्होंने कई उत्कृष्ट सामाजिक एवं ऐतिहासिक उपन्यास भी लिखे |
उन्होंने अपने लेखन से अपार लोकप्रियता हासिल की | इसी कारण उनकी लोकप्रियता में उनकी मृत्यु के बाद भी कोई कमी नहीं आई | उनका हर एक उपन्यास मिल का पत्थर साबित हुआ है जिनकी प्रशंसा बड़े-बड़े साहित्यकारों ने की है |
वक्त के साथ उनकी यह यादें धुंधली न पड़ जाए | शायद इसी कारण उनके बहुत से उपन्यासों को नीलम जासूस कार्यालय दोबारा प्रकाशित करवा रहा है | प्रस्तुत उपन्यास द्वितीय विश्व युद्ध के बीच पनपी एक प्रेम कहानी है |
कहानी तब की है जब भारत देश ब्रिटिशों के अधीन था | ब्रिटेन और जापान में आपसी दुश्मनी थी | हमारे देश के नायक सुभाष चंद्र बोस जी के प्रयत्नों के कारण भारत के लोगों को जापानी मित्र की दृष्टि से देखते थे |
इन्हीं सब परिस्थितियों का फायदा उठाकर ब्रिटेन की सेना में नौकरी करने वाले भारतीय युवकों को जासूस बनाकर जापानी सेना में भेजा जाता था | ताकि वह उनका हर भेद जान सके | ऐसे ही परिस्थितियों में फंसे एक भारतीय नौजवान की यह कहानी है |
उसने युद्ध किया है | मृत्यु को पास से देखा है फिर भी वह शांति चाहता है क्योंकि युद्ध सब कुछ बर्बाद कर देता है | आइए ,सारांश में देखते हैं इसकी शॉर्ट स्टोरी ..
सारांश –
कैप्टन वर्मा उतरती उम्र में भारत में ही स्थायिक हुए हैं | एक कॉलेज के बाजू में उनका एकांत सा बंगला है | कॉलेज के बच्चे उनसे घुल – मिल गए हैं | जब भारत देश के पड़ोसी देशों के बीच विवाद उग्र रूप लेने लगा तो , यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों ने अपनी शिक्षकों के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय युद्ध विरोधी आंदोलन शुरू कर दिया | इसके लिए उन्हें युद्ध विरोधी भाषण चाहिए था | यह देने के लिए उन्होंने चुना भी तो किसे ? भूतपूर्व सैनिक व जासूस रहे मिस्टर वर्मा को….
वर्मा ने उनको उन दिनों की बात बताई जब वे ब्रिटेन की सेना में कार्यरत थे | हुआ यू की वह थे तो भारतीय लेकिन पढ़ाई लिखाई के लिए इंग्लैंड गए और फिर वही नौकरी कर ली | उन्होंने लंदन की रॉयल एयर फोर्स जॉइन कर ली | वह एयरक्राफ्ट पायलट थे | उनको बम की वर्षा करने वाला प्लेन लेकर कोलकाता भेजा गया |
कोलकाता में उन्हें “मेजर जनरल ब्राउन” ने आदेश दिया कि तुम यात्री प्लेन लेकर बर्मा जाओ और जैसे ही जापानी बर्मा पर अपना कब्जा कर ले तुम अपनी मर्जी से आत्मसमर्पण कर दो |
इस रहस्य के बारे में कैप्टन वर्मा को रंगून जाने के बाद पता चला कि क्यों उन्हें यूरोपीय कमान से निकालकर एशियाई कमान में भेजा गया है | क्योंकि एशियाई देशों के फौजियों के प्रति जापानी सेवा का रवैया सहानुभूति पूर्वक रहता था |
इसके उलट वह यूरोपियन कैदियों को कैदी ही रखते थे | आत्मसमर्पण करने वाले यह पांच लोग थे | इन्हीं में उनके प्लेन की परिचारिका भी थी | जो उनकी भावी पत्नी बनने वाली थी | अब वह उस परिचारिका का पग – पग पर जापानी फौजियों से रक्षण करने लगे |
इसी के चलते वह परिचारीका कैप्टन वर्मा से प्रेम करने लगी और इसी तरह उनकी प्रेम कहानी आगे बढ़ती गई और एक दिन विवाह में परिवर्तित हो गई | उनकी शादी किन परिस्थितियों में हुई ? यह पढ़ना बड़ा ही दिलचस्प रहेगा |
अपनी मिशन के चलते कैप्टन वर्मा ने जापानी कर्नल कोबायाशी से मित्रता कर ली लेकिन कर्नल कोबायाशी ने सचमुच ही कैप्टन वर्मा को अपना मित्र माना | अपने परिवार का सदस्य समझा | इसीलिए जब ब्रिटिशों ने कर्नल कोबायाशी को मारने का प्लान बनाया तो कैप्टन वर्मा उन्हें बचाना चाहते थे क्योंकि तब कर्नल कोबायाशी के अच्छे आचरण के कारण कॅप्टन वर्मा भी उन्हें अपना मित्र मानने लगे थे |वह इंसानियत के नाते उन्हें बचाना चाहते थे |
कर्नल कोबायाशी को ब्रिटेन में बने टाइम बम से उड़ाया गया | कैप्टन वर्मा का यह मिशन था कि जापानी मुख्यालय में जहां यूरोपीय फौजियों को कैद कर के रखा गया है | उनको छुड़ाना और उनके मुख्य बेस को टाइम बम से उड़ाना |
चूंकि कॅप्टन वर्मा भी उनके टीम का एक हिस्सा थे | इसलिए उन्हें इस सब की जानकारी रहती थी लेकिन भाग्य ने इनका साथ दिया और बाकी सारे जासूस जापानियों के हाथों मारे गए | अब कर्नल कोबायाशी की जगह कर्नल ओकासाकी आ गया |
वह भी कैप्टन वर्मा का मित्र बन गया | जनरल नागुची भी कैप्टन वर्मा पर विश्वास करने लगे | अब जनरल नागुची की हत्या भी टाइम बम लगाकर करने की जिम्मेदारी जनरल ब्राउन ने कैप्टन वर्मा को दी | यह जिम्मेदारी कप्तान वर्मा ने अस्वीकार कर दि क्योंकि टाइम बम से कितने ही निर्दोष लोगों की जान भी चली जाती थी |
इसके बजाय कैप्टन वर्मा चाहते थे कि वह एयरक्राफ्ट को नागुची के साथ क्रैश कर के खुद भी समाप्त हो जाए | इसीलिए शायद जब वह जनरल नागुची को लेकर प्लेन से उड़ने वाले रहते हैं तो ब्रिटिश जासूस उनके प्लेन में गड़बड़ी कर देते हैं |
परिणाम ! समंदर के बीच में उनका प्लेन क्रैश हो जाता है | सब लोग मारे जाते हैं | सिवाय कैप्टन वर्मा , उनकी परिचारीका और जनरल नागुची ! वह बहुत ही घायल अवस्था में है | इनका प्लेन जहां क्रैश होता है | वहाँ बहुत सारे ब्रिटिश प्लेन भी हमला करने आते हैं |
उसमें से भी एक प्लेन क्रैश होता है | उसमें है – “जनरल ब्राउन” | वह भी घायल अवस्था में कैप्टन वर्मा को मिलते हैं | अब आपको किताब में पढ़कर जानना होगा कि , कैप्टन वर्मा किसका साथ देते हैं ? अपने ब्रिटिश फोर्स का या फिर उन्हें मित्र समझने वाले नागुची का ..
या फिर दोनों को खत्म कर देते हैं क्योंकि आखिर दोनों है भी तो अनगिनत लोगों की हत्याओ के जिम्मेदार , या फिर दोनों जनरल एक दूसरे के साथ समझौता कर लेते हैं | पढ़कर जरूर जानिएगा | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते हैं और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए ..
धन्यवाद !!
TIME BOMB BOOK REVIEW SUMMARY IN HINDI
