SANSAAR BOOK REVIEW SUMMARY IN HINDI

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संसार – देवताओ की घाटी मे प्रवेश
रिव्यू –

लेखक “ सक्षम गर्ग “ द्वारा लिखी यह एक रोमांच से भरपूर किताब है जिसका हिन्दी अनुवाद आशुतोष गर्ग इन्होंने किया है | यह अंग्रेजी मे “ samsara : Enter the valley of the God “ इस नाम से प्रसिद्ध है |
लेखक सक्षम गर्ग “पेंगुइन रेंडम हाउस इंडिया” में संपादक के पद पर कार्यरत है | उन्होंने सात साल तक मसूरी के “वुड स्टॉक स्कूल” में पढ़ाई की | वहां से उन्हें बर्फ से ढकी सात पहाड़ियां दिखाई देती थी | उनका ही उल्लेख उन्होंने प्रस्तुत कहानी में किया है |
वह फिलहाल अपना समय नई दिल्ली और जयपुर में बिताते हैं |

उनके प्रिय खेलों में फुटबॉल शामिल है | वायलिन बजाना भी उन्हें अच्छा लगता है | पाठकों के साथ बातचीत करना उन्हें पसंद है | इसीलिए किताब पढ़ने के बाद अपने विचार उन्हें जरूर बताएं |
लेखक की यह पहली ही किताब है और बेस्ट सेलिंग रही है | उनका यह प्रयास सफल रहा | किताब आपको एक अद्भुत और रोमांचक यात्रा पर लेकर जाती है | आधुनिक भारत के कुछ पात्र हिमालय के गुप्त घाटी में ले जाए जाते हैं जहां ना तो मॉडर्न सुख सुविधाएं हैं , ना तो कोई मोबाइल टावर | इसलिए आधुनिक भारत में सबसे महत्वपूर्ण समझा जानेवाला | मोबाइल वहां सिर्फ एक बेकार सी चीज है |
आधुनिक भारत से अपहरण करके 10 लोगों को उस रहस्यमय घाटी में ले जाया जाता है ताकि वह महायात्रा कर सके जिससे कि वन्यास घाटी का अस्तित्व कायम रह सके | लेकिन इस मधु का अपरंपार भंडार तो सनक ने पाण्ड्यम ताल में छुपा कर रखा है | तो फिर वह मधु लाने के लिए इन 10 लोगों की जान क्यों खतरे में डालता है ?
क्यों उसने घाटी के लोगों से झूठ कहाँ ? क्यों उनको धोखा दिया और इन सब से बढ़कर इस घाटी की स्थापना करने वाले इंद्रदेव क्यों नहीं चाहते कि यह महायात्रा सफल हो ?
क्यों वह चाहते हैं कि मधु के अभाव में कल्पवृक्ष सुख जाए और वन्यास घाटी नष्ट हो जाए ? जहां प्राचीन हिंदू धर्म जीवित है | जब तक आत्माओं को इस महायात्रा के बारे में पता चलता है | उन्हें यह भी पता चलता है कि यहाँ कोई बड़ा षड्यंत्र रचा जा रहा है | इस महा यात्रा के विरुद्ध देवताओं के राजा इंद्रदेव ने अलग ही आदेश पारित किया है |
इसलिए अमन को एका होने के नाते एक निर्णय लेना है जो न सिर्फ उसका बल्कि बाकी लोगों और दुनिया का भाग्य बदल देगा | देखना है कि अमन क्या चुनता है ? देवताओं के आदेश को या महायात्रा को..
इस अप्रतिम किताब के –
लेखक है – सक्षम गर्ग
प्रकाशक है – मंजुल पब्लिशिंग हाउस
पृष्ठ संख्या है – 277
उपलब्ध है – अमेजॉन पर
अनुवाद किया है – आशुतोष गर्ग इन्होंने

किताब बेस्ट सेलर की श्रेणी में शामिल है | किताब का विषय सचमुच बहुत अच्छा है | इसलिए किताब के विषय में बहुत सारे दिग्गज लोगों के अच्छे-अच्छे कमेंट्स आपको पढ़ने को मिलेंगे | प्रस्तुत किताब में पूरे 30 अध्याय है और तीन भागों में बटे हुए हैं | इन सब अध्यायों के नाम प्रायः वहीं नाम है जो किताब के शुरुआत के नक्शे में दिखाई गई जगह है और कहानी मे पात्रों के नाम है |
किताब के अनुवादक आशुतोष गर्ग तो हमारे फेवरेट है |
उनकी भाषांतरित किताबें और लिखी हुई किताबें हम पहले पढ़ते हैं | आशुतोष गर्ग इन्होंने एम.ए. हिंदी में और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है | उन्होंने एमबीए भी किया है | वह अनुवाद के क्षेत्र में एक चर्चित नाम है | और हिंदी और अंग्रेजी में समान प्रभुत्व रखते हैं |
उनकी अभी तक 38 किताबें प्रकाशित हो चुकी है | इसमें से 31 अनुवादित किताबें है | मुख्य रूप से चित्रा बैनर्जी दिवाकऋणी द्वारा लिखित किताब “सितायन” को “वैल्यू आफ वर्ड्स” पुरस्कार 2020 मे पांच बेहतरीन किताबों में शॉर्ट लिस्ट किया गया था |
2022 में “अमर उजाला शब्द सम्मान ” के तहत “द लॉस्ट गर्ल” इस किताब के लिए उन्हें “भाषा बंधु सर्वश्रेष्ठ अनुवाद के अलंकरण” प्रदान किया गया था | उनके द्वारा लिखित “कल्कि” और “कुबेर” इन किताबों को बेहतरीन उपन्यासों में शामिल किया गया है |
इनका लेखन पौराणिक ,आध्यात्मिक साहित्य पर आधारित रहता है | वह नियमित पत्र पत्रिकाओं में लिखते हैं | वे राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित है और रेल मंत्रालय में वरिष्ठ पद पर कार्यरत है |
सारांश –
18 – 19 साल का अमन दिल्ली का रहने वाला है | वह अपनी मां के साथ रहता है | उसके पिता आर्मी में थे और गद्दार कहलाते थे लेकिन उसकी मां उन्हें एक देशभक्त बताती थी | लोगों बुरे बर्ताव के कारण वह अपने आप में ही सिमट गया था | उसका कोई दोस्त नहीं था | उसे अपने पिता के बारे में जानने की बड़ी उत्सुकता थी |
इसीलिए उसकी मां ने उसे उसके पिताजी की कुछ पुरानी चीजे दी | इन चीजों के साथ सनक नाम का व्यक्ति उसे एक अजीब जगह पर लेकर जाता है | उस जगह का नाम “विन्यास” है | यह जगह किवदंतिओ मे प्रसिद्ध शंभाला या सिद्धाश्रम जैसी है | यह भी हिमालय में स्थित , सारी दुनिया से छिपी देवताओं की घाटी है | यहां तपस्वी , साधु , योगी और अमर लोग रहते हैं | साथ में देवता , राक्षस और वर्षों पहले विलुप्त हुए जानवर भी….
इस घाटी की रक्षा एक पेड़ करता है | उसका नाम “नंदक” है | यह समुद्र मंथन से निकला हुआ कल्पवृक्ष है जो मेरु पर्वत पर लगा था | देवताओं के राजा इंद्रदेव ने इसे मेरु पर्वत से उखाड़ कर “वन्यास” की धरती पर लगा दिया और वन्यास घाटी का निर्माण किया |
वन्यास घाटी की रक्षा के लिए इस कल्पवृक्ष का जिंदा रहना बहुत जरूरी है |

इस पेड़ को जिंदा रखने के लिए “मधु” जरूरी है जो एक स्पेशल टाइप की मधुमक्खियां द्वारा बनाया जाता है | इन मधुमक्खियां का पता सिर्फ “एका” को ही इंद्रदेव द्वारा बताया जाता है |
“एका” याने लीडर जो महा यात्रा का नेतृत्व करता है | “मधु” को लाने के लिए की गई यात्रा को “महायात्रा” कहते हैं जो एक दशक में एक बार होती है | इसके लिए घाटी के बाहर के यानी के मैदानी इलाकों के नौ लोगों को अगवा कर जबरदस्ती वन्यास घाटी में लाया जाता है | उन्हें कुछ प्राचीन विद्या सीखाकर महायात्रा के लिए तैयार किया जाता है |
इन सबका अपहरण कर्ता “सनक” है | सनक अपने भाइयों के साथ पिछले 4000 वर्षों से इसी घाटी मे रह रहा है | इन प्राचीन विद्या में शामिल है तरह-तरह के अस्त्र-शस्त्र चलाना और आत्मयोग |
यानी कि अपना शरीर छोड़कर आत्मा का किसी और के शरीर में प्रवेश करना | महायात्रा में शामिल होने वाले 9 लोगों का नाम है – युवान , जाग्रव ,सावित्री ,आरती ,पायल , पृथ्वी , उजल , फायजा और अमन |
एक आत्मा घाटी की ही रहती है जिसे “घाटी का शिशु” कहा जाता है | वह है – “इधिका” | इन सब मनुष्यों को आत्मा कहकर पुकारा जाता है और उनके शरीरों को पोशाक | इस बार के महायात्रा की एका इधिका है | यह बात उसे अरण्यानी ने बताई जो घाटी के पेड़ पौधों को कंट्रोल करती है | एक प्रकार की वनदेवी ही है |
चित्रा घाटी की वैद्य है | इधिका की माता “शकुंतला” ने भी 10 साल पहले एका की भूमिका निभाई थी | वह उस महायात्रा में चल बसी | इधिका के पिता ऋषि “अजन” को मधु चुराने के इल्जाम में घाटी के बाहर किया गया |
अमन को उसके माँ द्वारा दिए सामान से पता चलता है कि उसके पिता भी इसी घाटी में रह चुके हैं | इसीलिए वह अपने पिता के बारे में जानने के लिए पूछताछ करते हुए एक गलीचे वाले के पास पहुंचता है | बाद में वह वहां से भाग जाता है | घाटी में आनेवाली हर आत्मा को “अद्वैत “से गुजरना पड़ता है |
यह वह प्रक्रिया है जिसमें आत्माओं को मधु पिलाकर एक स्वप्न दिखाया जाता है , जिससे फिर घाटी की सभा और समिति को पता चलता है कि वह आत्मा महायात्रा के योग्य है भी या नहीं |
महायात्रा के लिए इन आत्माओं को अलग-अलग साधु , तपस्वी शिक्षकों के द्वारा ट्रेनिंग दी जाती है | इसी दौरान बीच में ही आत्माओं में से एक पृथ्वी का अपहरण “कीर्तिमुख ” नामक राक्षस द्वारा किया जाता है | यह भयंकर राक्षस आकार में बहुत बड़े हैं और गोरिल्ला जैसे दिखते हैं | इनको ” चयन” नामक व्यक्ति कंट्रोल करता है |
वह खुद भी एक “आत्मयोगी” है | फायजा , अमन ,उज्जल ,धरा ,गुरु अश्विनी की मदद से पृथ्वी को बचाने में कामयाब हो जाते हैं | जब इधिका आत्म योग करके चिड़िया बनकर उड़ती रहती है तो उसे आधुनिक भारत के कुछ लोग ऊपर के गुफाओं में दिखते हैं |
उनके पास कुछ कागज है | इधिका ,फायजा ,अमन ,धरा ,पृथ्वी ,उजल सब मिलकर यह पता लगाते हैं कि उन कागजों में क्या लिखा है ? इन्हे पता चलता है की ,वह लोग भी “मधु” हासिल करना चाहते हैं | यह भी की सनक ने ढेर सारा मधु कहीं छुपा कर रखा है और उन लोगों को सनक ने ही यहां आने का रास्ता दिखाया है |
इधिका आत्मयोग कर के पाण्ड्यम ताल में छिपे ढेर सारे मधु के कमंडल कनस्तरो का पता लगाने में कामयाब हो जाती है | यह पांच आत्माएं खुश है कि अब महायात्रा नहीं करनी पड़ेगी और यह सब अपने-अपने घर वापस जा सकेंगे | अपने परिवार से मिल सकेंगे | यह लोग विन्यास की सभा और समिति के आगे सनक का भंडाफोड़ करना चाहते है लेकिन सनक को भी इनके प्लान का पता चल जाता है | वह लाल बिच्छुओं को उनकी कुटिया में छोड़ देता है |
इन लाल बिच्छूओ की यह विशेषता है कि यह जिसको भी काट लेते हैं वह पिछली बातें भूल जाते है | इधिका और उसके साथी भी सब कुछ भूल कर महा यात्रा पर निकल पड़ते हैं |
हिमालय की सर्द प्रकृति , ठंडी हवाओं और शित दंश के साथ-साथ उन्हें चयन और कीर्ति मुखो के हमले का भी सामना करना पड़ता है | इसमें युवान , धरा ,पृथ्वी की मृत्यु हो जाती है | उजल , पृथ्वी की मृत्यु का बदला लेने के लिए चयन के पीछे अंधेरे में गुम हो जाता है |
महायात्रा के दौरान इधिका को पता चलता है कि एका वह नहीं बल्कि अमन है |

यह जानकर वह फूट-फूट कर रोने लगती है क्योंकि एका “वन्यास” घाटी का “नीला गुलाब” है जिसकी नियति में मुरझाना ही लिखा है जैसा की घाटी के गीत में लिखा है | “प्रत्येक दशक में एक नीला गुलाब खिलता है | अपने घर की खातिर उस फुल को मुरझाना जरूरी है|”
इसीलिए सिर्फ “एका ” को जीवनसाथी चुनने का हक है ताकि वह अपना वंश छोड़कर जा सके | बाकी सब आत्माओं पर ब्रह्मचर्य लागू है | सनक के विपरीत खुद “इंद्रदेव” चाहते हैं कि यह महायात्रा सफल न हो !

इसके लिए वह अमन के सामने प्रकट होकर बताते हैं कि वह इन 10 वर्षों के लिए आत्म योग करके इस दुनिया से छिप जाए ताकि सनक उसे ढूंढ ना पाए | इससे इन सबकी जान भी बच जाएगी और सनक उसे ढूंढ भी नहीं पाएगा |
इन 10 वर्षों बाद उस पर कोई नियम लागू नहीं होगा क्योंकि अगली महायात्रा का एका कोई और होगा लेकिन अगर वह महा यात्रा करता है तो मधु हासिल करेगा और उसके बाकी साथियों को घाटी में प्रवेश भी मिलेगा | नहीं तो वह लोग जंगलों में ही कहीं खो जाएंगे और कीर्ति मुखो के द्वारा मारे जाएंगे |
अगर अमन महायात्रा जारी रखता है तो वह फायजा के साथ अपना संसार नहीं बस पाएगा क्योंकि नीला गुलाब होने के नाते उसे मृत्यु स्वीकार करनी पड़ेगी | तो क्या करेगा अमन ?
इंद्रदेव की बात मानेगा या नीला गुलाब बनेगा ? क्या वह अपने पिता को खोज पाएगा ? जिसके लिए वह इस घाटी में आया था | जैसा कि उसके पिता किताब के आखिर में ऋषि अजन की कुटिया में मिलते हैं | अमन के पिता यावी चंद्रा ..
क्या डरा ,सहमा अमन घाटी में आकर महायात्रा का नायक बनकर अपना नाम सदा सदा के लिए अमर कर जाता है ? या दस वर्षों के लिए कही खो जाता है ? पढ़कर जरूर जानिए |

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