JAUHAR MAUT KE JAAL ME BOOK REVIEW

saranshbookblog parshuramsharmabook mysterythrillerbook

रिव्यू –

Read more 
लेखक परशुराम शर्मा “पल्प साहित्य” में एक प्रसिद्ध नाम रहे हैं | उनके द्वारा लिखा गया यह एक रोमांचकारी उपन्यास है जिसका मुख्य नायक “जौहर” है जिसे खतरों से खेलने की आदत है | भलेही वह वह चोर क्यों न हो ! लेकिन जब बात देश पर आनेवाले संकट की होती है तो फिर वह देश के अव्वल जासूसों के साथ मिलकर देश के लिए काम करता है | जौहर का पात्र ओमप्रकाश शर्मा द्वारा रचित “जगत ” के पात्र से मिलता है | हो भी क्यों न .. लेखक जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा से प्रेरित जो है | उन्होंने अपने उपन्यास इन्ही से प्रेरणा लेकर लिखे है |
अब ओमप्रकाश शर्मा कौन है ? इसकी जानकारी हमने “विषकन्या” इस वीडियो में दी है | कॉपी कर के कोई सफल होते हैं तो कोई नहीं | लेकिन प्रस्तुत किताब के लेखक सफल लोगों में से एक है | प्रस्तुत किताब के –
लेखक हैं – परशुराम शर्मा
प्रकाशक – नीलम जासूस कार्यालय
पृष्ठ संख्या – 96
उपलब्ध – अमेजॉन पर

सारांश –
जौहर एक शातिर चोर है | इसलिए उसका वास्ता बड़े पुलिस ऑफिसर और उच्च लेवल के जासूसों के साथ आता है | ऐसे ही इस कहानी में उसके साथी है | जासूस रंजीत और रंजीत का असिस्टेंट क्राइम रिपोर्टर रतन |
रतन वक्त पर बेवकूफ और वक्त पर होशियार , चालाक कैरेक्टर बताया है | रंजीत का इस पर कोई बस नहीं | यह दोनों गृह मंत्रालय की ओर से जिस केस की छानबीन के लिए बीसुरपुर आए हैं | उस केस से जौहर जुड़ा है | कैसे ? बताते हैं |
जौहर की सुनसान सड़क पर गाड़ी खराब होने के बाद उसे रात के वक्त एक रोशनी दिखाई दी | जहां उसे बलबीर नाम का आदमी मिला | कुछ ही वक्त में वह उसका मित्र बन गया | वह पहले एक अपराधी था और अभी खिलौने बेचकर अपना गुजारा करता है लेकिन वहां का हेड कांस्टेबल शांताराम उसे उसका अतीत भूलने नहीं देता | वह उसे हर वक्त गिरफ्तार करने की धमकी देता रहेता है |
इसी वजह से दोनों का झगड़ा होता है | झगड़े के तुरंत बाद ही शांताराम का खून हो जाता है | खून का इल्जाम बलबीर पर लगता है | इस की गवाही वहां का जमींदार बहराम सिंह और उसकी बेटी राधा देती है |
जौहर जानता है कि बलबीर बेकसूर है | वह कर्नल रंजीत सिंह की नकली पहचान लेकर बलबीर को थाने से छुड़ा लेता है | जब इसका पता असली जासूसों को लगता है तो उन्हें पता चल जाता है कि यह सारी करामात जौहर की है |
पर एक हेड कांस्टेबल के मर्डर की जांच कर ने गृह मंत्रालय ने अपने स्पेशल जासूसो को क्यों भेजा जबकि इस केस की तहकीकात लोकल इंस्पेक्टर भी कर सकता था | इसका पता रंजीत और रमन की आपसी बातचीत से चलता है |
असल में शांताराम हेड कांस्टेबल और बलबीर दोनों ही अन्डर कवर एजेंट रहते हैं | बिसुरपुर में घटने वाली अजीब घटनाओं के पीछे कौन है ? इसका पता लगाने के लिए उनके डिपार्टमेंट ने उन्हें यहां भेजा होता है |
इन सब घटनाओं के पीछे जो व्यक्ति है | उसने शांताराम को मार कर उसका इल्जाम बलबीर पर डालना चाहा ताकि एक तीर से दो शिकार कर सके लेकिन जौहर की वजह से वह हो नहीं सका | इसलिए अब वह जौहर के पीछे भी है |
लेकिन उन्हें पता नहीं की , जौहर क्या चीज है ? जैसे ही जौहर को शांताराम के गुप्त अड्डे का पता चलता है और उसमें मूल्यवान हीरे का टुकड़ा मिलता है | तब से जौहर भी इस केस से जुड़ जाता है क्योंकि जहां हीरे , वहां जौहर ..
वह इस केस में रंजीत और रमन की भी मदद करता है | हालांकि , रंजीत को किसी की मदद की जरूरत नहीं | यह तीनों अपनी छानबीन शुरू करते हैं और घटनाओं का एक सिलसिला चल पड़ता है |
आखिर यह तीनों उस राज का पर्दाफाश करने में कामयाब हो जाते हैं जिससे देश को बहुत तगड़ा नुकसान पहुंचनेवाला होता है | यह लोग नकली करेंसी का पर्दाफाश करते हैं | इसके पीछे जो- जो गद्दार रहते हैं | उनको भी पकड़ते है |
स्पेशली जमींदार बहराम सिंह को ! हालांकि , वह बाद में मर जाता है | असली सरगना उसकी बेटी रहती है क्योंकि वह जमींदार की बेटी ना होकर दुश्मन देश की एजेंट रहती है |
जौहर के हैरतअंगेज करामातों को जानने के लिए किताब जरूर पढिए | ऐसे ही और किताबों के रिव्यु के लिए जुड़े रहिए सारांश बुक ब्लॉक के साथ | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहीए | मिलते हैं और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए ..

धन्यवाद !!

Check out our other blog post DO PRET

Check out our youtube channel 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *