रिव्यू –
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आव्हान एक रहस्यमयी किताब है जिसे पाँच खंडों मे लिखा गया है |सौरभ कुदेसिया द्वारा लिखित “आह्वान” महाभारत पर आधारित पौराणिक रहस्य गाथा का पहला भाग है। यह एक रोमांचक हिंदी उपन्यास है जो समकालीन हत्या के रहस्य को प्राचीन ऐतिहासिक रहस्यों के साथ जोड़ता है, पाठकों को स्थापित ऐतिहासिक आख्यानों पर सवाल उठाने और महाकाव्य से जुड़े , छिपे हुए सत्यों को उजागर करने के लिए मजबूर करता है।
कहानी जिस पात्र से शुरू होती है | उस रोहन की पाँच हमशक्ल लाशे | उनमें पाई जाने वाले विचित्र बातें | इन लाशों तक पहुंचने वाले विचित्र संकेत | यह विचित्र संकेत देने वाला एक पुरातन काल का यंत्र | अधूरी पांडुलिपियां जो अभी तक महान ग्रंथों से विलुप्त है और इन सारी बातों को जोड़ने वाली रोहन की वसीयत जो उलझन से भरी है |
उसकी उलझने सुलझाते – सुलझाते रोहन का मित्र इंस्पेक्टर जयंत और रोहन का परिवार , जयंत के मित्र डॉक्टर मजूमदार अनेक रहस्यों का पर्दाफाश करने में कामयाब हो जाते हैं जो कुरुक्षेत्र युद्ध और महाभारत से जुड़े हैं |
इन रहस्यों को सुलझाने के चक्कर में उनको पता ही नहीं चला कि वह सदियों पुराने मुमुक्षुओ और चिरंजीवियों के रक्तरंजीत युद्ध का हिस्सा बनते जा रहे हैं | रोहन इन सब बातों के बारे में जानता था |
रोहन की वसीयत को एक साधारण वसीयत समझकर उसकी बातों को जानने के चक्कर में श्रीमंत परिवार और इंस्पेक्टर जयंत का सफर उस मोड पर पहुंच जाता है जहां जीवन का मोल कम और कुछ और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है |
वैसे हम यह नहीं बोल पाएंगे कि इंस्पेक्टर जयंत और उसके साथी इन रहस्य को खोज पाते हैं या नहीं क्योंकि ऐसे पुरातन पात्र उन लोगों के सामने आते हैं जिनकी ताकत के सामने यह लोग बेबस है |
वैसे भी कहानी इस खंड में कंप्लीट नहीं हुई है | लेखक ने कहानी को पांच भागों में लिखा है जिनके नाम क्रमशः
1. आव्हान
2. स्तुति
3. आहुति
4. अग्निहोत्र
5. स्वाहा
इसमें से आज हम आपको आव्हान बुक का रिव्यू और सारांश बताने जा रहे हैं | प्रस्तुत किताब के –
लेखक है – सौरभ कूदेशिया
प्रकाशक है – हिंदी युग्म
पृष्ठ संख्या है – 278
उपलब्ध है – अमेजॉन पर
वैसे तो महाभारत और रामायण के विषय को आधार बनाकर बहुत सी किताबें लिखी गई है लेकिन प्रस्तुत किताब में लेखक ने चिरपरिचित ग्रंथों को आधार बनाकर एक नवीनतम कहानी गढ़ी है जो सबसे हट के है | आप को जरूर पढ़नी चाहिए |
हमे इस किताब के सारे पार्ट बहुत अच्छे लगे | इसलिए एक के बाद एक सारे पढ़ डालें क्योंकि कहानी बहुत ही अच्छी लिखी गई है | जो आपको किताब से बांधे रखेगी | एक ही सिटिंग में पढ़ने की इच्छा होगी | खैर .. ,अब थोड़ा लेखक के बारे में भी जान लेते हैं |
लेखक पिछले 20 वर्षों से मल्टीनेशनल कंपनियों में टेक्निकल राइटर और मैनेजर के पद पर काम कर चुके हैं | उन्होंने दुनिया भर के समूहो को संभाला है और उन्हें नए इनोवेटिव कंटेंट डिजाइन करने में मदद की है |
उन्होंने बिट्स पिलानी , आईआईएम बैंगलोर , सिमबायोसिस पुणे और भोपाल यूनिवर्सिटी इन सब से शिक्षा प्राप्त की है | उन्हें ट्रैवल करने का शौक है | अलग-अलग संस्कृतियों के बारे में सीखना और जानना पसंद है | इन्हें उनकी किताब “आव्हान” के लिए क्रिटिक्स स्पेस लिटरेरी जर्नल्स ने इंडिया के टॉप 100 डेब्यू ऑथर में शामिल किया है | इनको आप इनके सोशल मीडिया अकाउंट पर फॉलो कर सकते हैं |
आइए , अब देखते है इसका –
सारांश =
सारे चक्र रोहन की वसीयत के साथ शुरू होते हैं | रोहन और प्रियंका के होनेवाले बेटे मे जन्म से ही जेनेटिक डिसऑर्डर होने की संभावना है | इसी पर रिसर्च कर रहे डॉक्टर स्वामी और उनकी असिस्टेंट डॉक्टर महापात्रा प्रियंका का ट्रीटमेंट शुरू कर देते हैं |
डॉक्टर स्वामी प्रियंका को कुछ अवैध दवाए देकर निश्चल की हालत में और बिगाड़ कर देते हैं | बाद में दोनों डॉक्टर उसका सफल ऑपरेशन करके उसे बचा लेते हैं | रोहन और निश्छल की कार एक्सीडेंट में मृत्यु हो जाती है |
उसी दिन रोहन की वसीयत उसके परिवार के पास पहुंचती है जो बहुत ही उलझन भरी है | उसे सुलझाने के लिए रोहन के पिता मिस्टर श्रीमंत , रोहन के मित्र इंस्पेक्टर जयंत को बुलाते हैं | जयंत का असिस्टेंट राठौर है | जयंत को जांच में पता चलता है कि निश्चल की जन्म तारीख और ऑपरेशन की तारीखों में हेर फेर है |
यहां तक की प्रियंका की डिलीवरी का कोई सबूत भी दवाखाने में नहीं है | ना ही तो रोहन की एक्सीडेंट का कोई केस किसी अस्पताल में दर्ज है | यह सब जानकर जयंत और श्रीमंत परिवार सदमे में आ जाता है |
ऐसे में जयंत को शहर के रास्ते में बने “अंधे मोड़” पर एक एक्सीडेंट की खबर मिलती है | जयंत उस एक्सीडेंट में मरे व्यक्ति को देखकर हैरत में पड़ जाता है क्योंकि वह रोहन है | लेकिन वह कैसे हो सकता है ?
रोहन की मौत तो कुछ दिन पहले ही हो चुकी है | अब उसे हमशक्ल रोहन का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर मजूमदार उस हमशक्ल लाश के बारे में अनेक हैरत – अंगेज बातें बताते हैं जिसे सुन जयंत के रोंगटे खड़े हो जाते हैं | वैसे ही पढ़कर आप के भी हो जाएंगे |
फिर रोहन की वसीयत सॉल्व करने में डॉक्टर मजूमदार भी शामिल हो जाते हैं | वह रोहन के फ्लैट में मौजूद बहुत सारी चीजों के साथ महाभारत की कथाओं को लेकर कुछ पहेलियां सुलझाने में सफल हो जाते हैं | उन्हें रोहन के खाली लॉकर में एक चिन्ह दिखता है जो मूलाधार चक्र से संबंधित है |
रोहन के बंद कमरे में उन्हें पांडुलिपियाँ मिलती है जो हजारों साल पुरानी है | इतना सब जानने के बाद डॉक्टर मजूमदार का एक दिन जयंत को फोन आता है | वह वहां पहुंचकर जो देखता है | उसे देखकर वह बेहोश होते-होते बचता है | मजूमदार की लैब में हत्याओं का जो नजारा जयंत देखता है वह बहुत ही वीभत्स रहता है |
यह सब देखकर वह रात के 3:00 बजे श्रीमंत परिवार के घर जाता है क्योंकि उनकी जान को खतरा है | वहां उस घर में , उन पर “मृत्युशिर” नामक इंसान के भेस में जानवर , जिसके पास जादुई शक्तियां है | हमला करने वाला होता है लेकिन एक अनजान शख्स जयंत , श्रीमंतजी , उनके छोटे बेटे विराट और रोहन की पत्नी प्रियंका की जान बचा बचा लेता है | खुद की जान देकर ..
लेकिन कैसे ? इन सबको गार्डन में बनी एक सुरंग में भेज कर | सुरंग में भी वह भयानक जानवर जयंत पर हमला करता है | इस जानवर के साथ जयंत और राठौर का सामना पहले भी हो चुका है | इसी ने डॉक्टर स्वामी और महापात्रा का कत्ल किया है | वह भी बड़े ही भयानक तरीके से | वह सब सोचकर ही जयंत थर्रा गया |
अब उसे लगा की उसका अंतिम समय पास आया | यह सोचकर और सारी हिम्मत बटोर कर वह “मृत्युशिर” के साथ भीड़ गया | इन सब लोगों को डॉक्टर वर्मा बचा लेते है | डॉक्टर वर्मा कोई ऐसी वैसी शख्सियत नहीं | वह बहुत ही सम्मानित और ताकतवर व्यक्ति है | उन्हें श्रीमंत परिवार , रोहन की वसीयत ,जयंत और डॉ. मजूमदार के बारे में पूरी जानकारी है |
वह पुरातत्व विभाग से जुड़े हैं | इसी के तहत उनके पास एक 12,000 हजार साल पुरानी एक अंगूठी है जिस पर वही निशान है जो रोहन की पांडुलिपि पर बना है | वह एक प्रकार का यंत्र है | जैसे महाभारत काल और रामायण काल में उपयोग होते थे | वह अंगूठी एक अजब ही मेटल से बनी है जिसका पता ढेर सारे रिसर्च करने के बाद भी पता नहीं चल पाया |
उस अंगूठी को डॉक्टर वर्मा और उनकी टीम ने नाम दिया है “सूर्यकवच” | इसमें से तरंगों के रूप में संदेश निकलते हैं | यह तरंगे जहां मिलती है | वहां कोई ना कोई एक्सीडेंट जरूर होता है | पहली बार मिली तरंगों ने उन्हे रोहन तक पहुंचाया था | रोहन उस सूर्यकवच को पहचानता है और उसके मालिक को भी ..
ऐसे ही उन्हें एक के बाद एक रोहन कि पाँच हमशक्ल लाशे मिली जिनका सुलझना अभी बाकी है | “सूर्यकवच” का राज भी और मौत का तांडव करनेवाले उस जानवर का राज भी ..
इसके आगे की कहानी लेखक ने अगले भाग में दी है | पांडुलिपियों मे जो घटनाए है | वह कुरुक्षेत्र के युद्ध के पूर्व की है | अपना पक्ष मजबूत करने के लिए पांडव और दुर्योधन विविध राज्यों से मदद की अपेक्षा कर रहे हैं | दुर्योधन पांडवों की शक्ति कम करने के लिए बहुत से हथकंडे अपनाता हैं पर इधर पांडवों की तरफ से उसका सामना भगवान श्री कृष्ण से है |
दोनों अपने- अपने जासूसों को काम में लगाते हैं | इसमें अर्थात श्री कृष्णा विजयी रहते हैं क्योंकि उनकी सोच और रणनीति के आगे दुर्योधन काही ठहेर ही नहीं पाता |
जैसा कि सब जानते हैं | महाभारत का युद्ध इस धरती का सबसे भयंकर युद्ध था | इसमें ऐसे बहुत सारे खतरनाक अस्त्र-शस्त्र का उपयोग हुआ जिससे सृष्टि का बहुत नुकसान हुआ | यही डर श्री कृष्ण , भीष्म और बहुत सारे सिद्ध ऋषि मुनियों को भी था कि कहीं मनुष्य की बसी बसायी संस्कृतियाँ ही नष्ट न हो जाए ! तब अगली पीढ़ियाँ अपनी संस्कृति को कैसे जान पाएगी ?
तब सारे भगवान , देवता , ऋषि मुनि और महाभारत काल में उपस्थित सारे महान और शक्तिशाली लोग एक ऐसे आश्रम की स्थापना करते हैं जो इनके उद्देश्यों की पूर्ति कर सके |
इसके मुखिया मुमुक्षुओ को बनाया जाता है | अब यह मुमुक्षु कौन है ? यह आप किताब में पढ़ लीजिएगा क्योंकि इन सब का कॉन्सेप्ट बहुत लंबा है |
वैसे लगता है कि लेखक ने कहानी लिखने के लिए महाभारत की डिटेल में पढ़ाई की है क्योंकि उन्होंने कहानी में वर्णित हर परिस्थिति से जुड़ी काव्य पंक्तियों को भी सम्मिलित किया है | ताकि आपको पता चले कि प्रस्तुत स्थितिया महाभारत में कब घटित हुई थी |
जब भी कोई अच्छा काम होता है तो उसका विरोध करनेवाले भी होते हैं | ऐसी ही एक बुरी शक्ति है | जिसका नाम “मृत्युशिर” है | वह मुमुक्षुओ के आश्रम को नष्ट कर देना चाहता हैं | मुमुक्षु और मृत्युशिर ने द्वापरयुग से कलयुग का सफर तय किया है | इसलिए इनके पास जादुई शक्तियां है जिसका मुकाबला कलयुग का इंसान नहीं कर सकता |
इसमें ऐसा बताया गया है कि , महाभारत में ऐसे भी अध्याय थे जिनका अभी के महाभारत में नामोनिशान तक नहीं है | वह जानबूझकर उसमें से गायब किए गए हैं | मृत्युशिर द्वारा इंसानों की हत्या का विवरण बहुत ही वीभत्सता भरा है | जब इस भयानकता को कम करने के लिए लेखक से कहा गया तो उन्होंने कहा कि यह कहानी की मांग थी |
यह सच भी है क्योंकि उसी से मृत्युशिर की ताकत का अंदाजा लगता है | कहानी कलयुग से द्वापर युग तक जुड़ी है | कहानी दो युगों को साथ में लेकर चलती है | एक है कलयुग की जिसमें ऐसी भाषा का उपयोग हुआ है जैसा हम और आप बोलते हैं | तो दूसरी तरफ महाभारत काल है |
इसीलिए उनकी भाषा भी अचानक से शुद्ध टाइप की हिंदी मे बदल जाती है जिसमें की संस्कृत के शब्दों की अधिकता है | कहानी के इस तालमेल को लेखक ने बखूबी अंजाम दिया है | लेखक की इन किताबों के लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है क्योंकि जब आप श्री कृष्णजी की रणनीति पढ़ेंगे तो दंग रहे जाएंगे |
आखिर यह लेखक की कलम से ही तो बाहर निकली है | लेखक की कलम ने पहली बार मे ही कमाल कर दिया है | किताबों को जरूर पढिए | नहीं तो आप एक अच्छी कहानी से वंचित रहे जाओगे | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते है और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए ..
धन्यवाद !!