वर्दीवाला गुंडा
वेद प्रकाश शर्मा द्वारा लिखित
रिव्यू –
“वर्दी वाला गुंडा” लेखक वेद प्रकाश शर्मा द्वारा लिखित वह उपन्यास है जिसने बिक्री के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे | इस उपन्यास की आठ करोड़ प्रतियां बिक चुकी है भले ही इसको साल गुजर गए हो फिर भी यह अभी भी पढ़ने लायक है | इसकी कहानी आउट डेटेड नहीं हुई है | लेखक के बहुत सारे उपन्यासों पर बॉलीवुड में फिल्में भी बन चुकी है |
वह कभी पैसों के पीछे नहीं भागे बल्कि उन्हें फेम चाहिए था | वह अपनी किताबों पर अपना नाम देखना चाहते थे | लेखक क्वालिटी वर्क करते थे इसीलिए शायद उनके उपन्यासों की संख्या कम है पर सारे उपन्यास एक से बढ़कर एक है |
उनके लिखाण पर बाबू देवकीनंदन खत्री और जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा के लेखन का प्रभाव दिखाई देता है | इसीलिए शायद उन्होंने देवकीनंदन खत्री जी से इंस्पायर्ड होकर “देवकांता संतति” किताबे लिखी और ओम प्रकाश शर्मा जी से इंस्पाययर्ड होकर पल्प साहित्य लिखा |
पल्प साहित्य में “ओम प्रकाश शर्मा “एक बहुत बड़ा नाम है | उन्होंने 400 से ज्यादा उपन्यास लिखे | उनके उपन्यास के रिव्यू भी हमारी वेबसाइट “सारांश बुक ब्लॉग ” पर उपलब्ध है |उन्हें भी आप जरूर देखें |
यूट्यूब पर लेखक के परिवार का इंटरव्यू है | उससे ही हमें पता चला कि लेखक को इस उपन्यास का विषय कैसे मिला ? हुआ यह की , लेखक अपने मित्र के साथ कहीं जा रहे थे , तब उन्होंने एक पुलिस वाले को ,एक ट्रक वाले को डंडे से मारते हुए देखा क्योंकि वह उसकी बात नहीं मान रहा था | बस यही वाक्या देखकर उनके मन में इस चरित्र पर किताब लिखने का विचार आया |
हमेशा ऐसा ही होता है कि , लेखक को अच्छी कहानी लिखने के लिए अपने परिवार से दूरी बनानी पड़ती है ताकि अच्छी किताब पाठकों को पढ़ने को मिले | इसीलिए हम पाठकों को उनके परिवार को भी धन्यवाद देना चाहिए | इसीलिए हम उन्हें और लेखक को धन्यवाद देते हैं कि हमें एक अच्छा उपन्यास पढ़ने को मिला |
हालांकि ,लेखक अब इस दुनिया में नहीं है फिर भी किताब के माध्यम से वह हमेशा हम पाठकों के बीच मौजूद रहेंगे | वैसे हम पल्प साहित्य बहुत कम पड़ते हैं पर इस किताब का नाम शीर्ष उपन्यासों की लिस्ट में देखा | इसीलिए इसे पढ़ा और हमें अच्छा लगा |
उम्मीद है , आपको भी अच्छा लगेगा | जरूर पढ़िएगा | इस बेहतरीन किताब के –
लेखक है – वेद प्रकाश शर्मा
प्रकाशक है – हिंदी पॉकेट बुक्स
पृष्ठ संख्या है – 347
उपलब्ध है – अमेजॉन पर
आइए , इसी के साथ देखते हैं इसका
सारांश –
किताब के शीर्षक से ही पता चलता है कि इसमें सम्मिलित पुलिस पात्र भ्रष्टाचारी और बदमाश है | ऐसे ही पाठकों का सामना होता है पहले भ्रष्ट पुलिस वाले से जो प्रतापगढ़ थाने में पोस्टेड है | नाम है उसका देशराज | इसके पास एक मर्डर केस आता है जिसमें यह असली खूनी से पैसे लेकर बेगुनाह गोविंद को फसाता है क्योंकि वह गरीब है |
गोविंद को छुड़ाने का वादा करके गोविंदा की पत्नी के साथ कुकर्म करता है | परिणाम , बिचारे दोनों ही पति पत्नी आत्महत्या कर लेते हैं | इसका ही फल शायद उसे भुगतना पड़ता है |
उसके थाने के क्षेत्र में एक बुजुर्ग इंसान की हत्या हो जाती है | उसका चेहरा तक पहचाना नहीं जा सकता | देशराज अपना काम बचाने के लिए उस बुजुर्ग की लाश को मगरमच्छ वाले तालाब में डाल देता है जहां इंसान का आधे घंटे में नामोनिशान मिट जाता है |
घर जाकर उसे पता चलता है कि वह बुजुर्ग कोई और नहीं बल्कि उसके ही पिता थे | इस असलियत को जानकर देशराज बुरी तरह टूट जाता है | वह कोर्ट में जाकर असली खूनी के बारे में बताता है और यह भी की इस सारे षड्यंत्र के पीछे “ब्लैक स्टार” का हाथ है |
“ब्लैक स्टार” एक बहुत बड़ी संघटना है जिसका खात्मा श्री गंगा देश की सेना तक नहीं कर पाई | इसका हर एक व्यक्ति सैनिक है और वर्दी पहनता है | इनके मुखिया को मेजर का ओहदा दिया जाता है | हालांकि मेजर “ब्लैक स्टार” से कोई सवाल पूछने की हिम्मत नहीं कर सकता |
ब्लैक स्टार “जंगल” में रहता है | वह उसकी खुफिया जगह है | आज तक कोई भी प्रादेशिक सरकार उसके बेस को नष्ट नहीं कर पाई | इस संघटना का मेजर “थारूपल्ला ” है | वह काली बस्ती में रहता है | काली बस्ती एक तरह से थारूपल्ला का किला है |
यहाँ का एक – एक व्यक्ति चाहे वह बच्चा हो या बूढ़ा हथियारों से लैस है | ब्लैक स्टार की संघटना के लिए जान भी दे सकता है | प्रतापगढ़ में पूरी तरह से ब्लैक स्टार का राज चलता है |
इसकी ही अराजकता खत्म करने के लिए पुलिस डिपार्टमेंट यहां एक ईमानदार और कर्मठ पुलिसवाले को पोस्टेड करते है | नाम है उसका – “तेजस्वी” जिसकी जोरदार सिफारिश पुलिस अधिकारी कुंभारप्पा और चिदंबरम करते हैं |
इनके कहने पर कमिश्नर शांडियाल तेजस्वी की नियुक्ति प्रतापगढ़ में करते हैं | तेजस्वी आते बराबर सारे गुंडो को बुलाकर हड़का देता है | जो नेता प्रसिद्ध था | उसकी प्रसिद्धि कम कर के उसके ऑपोजिट वाले नेता को जीताकर अपनी जेब में रखता है |
उसके बाद थारूपल्ला को चैलेंज देकर काली बस्ती में घुस जाता है | वहां से वह ब्लैक स्टार को अपने जाल में फंसा कर वापस जिंदा लौट आता है क्योंकि आज तक काली बस्ती से कोई भी पुलिस वाला जिंदा बचकर वापस नहीं आया है |
इसके लिए वह श्री गंगा के तेजस्वी की नकली पहचान लेकर ब्लैक स्टार को बेवकूफ बनाता है क्योंकि वह बताना चाहता है कि वह ब्लैक स्टार का हितैषी है | कैसे ?
ऐसे की , प्रतापगढ़ में ब्लैक स्टार का राज था | यहां की पॉलीटिकल पार्टी ब्लैक स्टार के संगठन से डरती थी | अतः उसके खौफ में थी | इसलिए इस प्रदेश के नेता चिरंजीवी ने यहां की सरकार बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया | इसलिए ब्लैक स्टार चिरंजीवी को खत्म करना चाहता था |
उधर श्री गंगा में सेना भेजने वाला भी चिरंजीवी ही था | सेना के हमले में बहुत से परिवार बर्बाद हो गए थे | अतः तेजस्वी अपने परिवार का बदला लेना चाहता था लेकिन असल में वह भारतीय ही था | वह ब्लैक स्टार की एक के बाद एक सारी जगह को तबाह करते जाता है |
साथ मे ब्लैक स्टार के सहयोगियों को भी खत्म करता है | इससे प्रतापगढ़ में तेजस्वी का दबदबा बढ़ जाता है | वह वहां के लोगों की नजर में देवता बन जाता है | पुलिस डिपार्टमेंट उस पर आंख मूंदकर भरोसा करने लगता है |
अब तेजस्वी अपना असली रूप दिखाता है | उसका यह रूप कुछ ही लोगों को पता है | जो लोग उस के अन्डर काम करते हैं उनको और जिन लोगों से वह रिश्वत लेता है उनको | अब पता चलता है कि तेजस्वी ब्लैक स्टार से मिला हुआ है | ब्लैक स्टार तेजस्वी के साथ मिलकर अपना ही नुकसान क्यों करा लेता है ताकि तेजस्वी का पुलिस डिपार्ट्मेंट मे रुबाब बढ़े |
उस पर विश्वास करके पुलिस डिपार्टमेंट उसे वह काम सौंप दे जो ब्लैक स्टार चाहता है | क्या है वह ? वह है – प्रादेशिक नेता चिरंजीवी की सेफ्टी टीम मे शामिल होना | लेकिन क्यों ? चिरंजीवि को मारने के लिए ट्रिपल झेड भी सक्रिय है |
तेजस्वी ने इससे चिरंजीवी को मारने का सौदा तय किया है | चिरंजीवी की केंद्रीय सिक्योरिटी टीम के एक सदस्य नंबर 5 , जो लुक्का नाम का गुंडा बनकर प्रतापगढ़ मे सक्रिय है , को तेजस्वी के असलियत का पता चल जाता है तो तेजस्वी उसको भी मार कर , सबको गुमराह करता है |
तेजस्वी दिमाग से बहुत चालाक है | वह हमेशा शातिर चाले चल के सबको अपने मुट्ठी में रखता है | वह खुद ही ऐसा कहता है कि उसे शतरंज की चाले चलना अच्छा लगता है | सब पर हुकूमत करना अच्छा लगता है | केंद्रीय खुफिया विभाग का प्रमुख ठक्कर भी बेहद तेज और होशियार बताया हैं |
बस वह तेजस्वी के जैसे चाले नहीं चलता | तेजस्वी इसी से डर कर रहता है लेकिन सिर्फ मन में .. | बाहर कोई भी डर नहीं दिखाता | तेजस्वी और ब्लैक स्टार एक साथ चाले चलकर एक-एक प्यादे को खत्म करते चले जाते हैं | इनमें शामिल है – मेजर थारूपल्ला , थारूपल्ला का साथी शुब्बाराव , पुलिस अधिकारी कुंभारप्पा , चिदंबरम , तेजस्वी की पत्नी और आखिर मे प्रादेशिक नेता चिरंजीवी |
कमिश्नर शांडियाल और ठक्कर को भी पता चल जाता है कि तेजस्वी ही प्रादेशिक नेता चिरंजीवी की हत्या के पीछे है | फिर भी तेजस्वी इन सबसे बचकर प्रतापगढ़ का ही मुख्यमंत्री बन जाता है | वह भी ब्लैक स्टार की मदद से ताकि ब्लैक स्टार का सपना पूरा हो सके |
वह सपना है – यमनिस्तान की स्थापना | अब मुख्यमंत्री बनते ही तेजस्वी ट्रिपल Z को भी मार देता है | ब्लैक स्टार को भी मार देता है | तेजस्वी शुरू से ही जानता था कि ब्लैक स्टार कौन है ? शुरू से ही ब्लैक स्टार का पात्र पाठकों के भी सामने रहता है फिर भी आखिर में पाठक अवाक् रह जाता है |
तेजस्वी काली बस्ती को भी दुनिया से अलग-थलग कर देता है | ब्लैक स्टार की खुफिया जगहों को भी पुलिस विभाग द्वारा खत्म करा देता है | इन सब बुरे लोगों को खत्म करके क्या तेजस्वी देश की मदद कर रहा है ? भले ही वह एक भ्रष्ट और रिश्वतखोर पुलिस वाला है !
उसके इन सब काले कारनामों में साथ देने वाला और अभी अपने जमीर की आवाज सुनने वाला पांडुराम हवालदार , क्या तेजस्वी को हराने में कामयाब हो पाता है ? जैसा कि वह तेजस्वी से चैलेंज करता है | पांडुराम ही सबको तेजस्वी की सच्चाई बताता है | तो क्या तेजस्वी अपने अंजाम तक पहुंच पाता है ? तेजस्वी का पात्र वैसा ही है जैसा किताब के मुख्य पृष्ठ पर लिखा है | सच – झूठ , निष्ठा और निचता का मिला – जुला तांडव करनेवाला वर्दी वाला गुंडा ..
जरूर पढिए |
मिलते है और एक नई किताब के साथ तब तक के लिए –
धन्यवाद !