जेम्स वॉट
निकोला बैक्सटर द्वारा लिखित
रिव्यू –
जेम्स वॉट एक स्कॉटिश आविष्कारक, इंजीनियर और रसायनशास्त्री थे | उन्हें न्यूकॉमन भाप इंजन में महत्वपूर्ण सुधारों के लिए जाना जाता है | जिस कारण इंग्लैंड मे औद्योगिक क्रांति संभव हो सकी |
वॉट का सबसे महत्वपूर्ण आविष्कार अलग कंडेनसर का था | इसने मौजूदा न्यूकॉमन इंजन की एक बड़ी अक्षमता को दूर किया, जो सिलेंडर को बार-बार गर्म और ठंडा कर के बहुत सारी भाप बर्बाद करता था | वॉट के अलग कंडेनसर ने मुख्य सिलेंडर को गर्म रहने दिया, जिससे इंजन की दक्षता में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई और ईंधन की खपत कम हुई |
इसने भाप इंजन को उद्योगों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए एक व्यावहारिक और प्रभावी लागतवाला शक्ति स्रोत बना दिया | 1781 में, वॉट ने “सूर्य और ग्रह” गियर प्रणाली विकसित की | इस प्रणाली के कारण भाप इंजन , कारखाने की मशीनरी को शक्ति प्रदान करते थे | इन कारखानों मे निरंतर गोलाकार गति की आवश्यकता थी, जैसे पीसने, बुनाई के लिए |
उन्होंने 1782 में एक डबल-एक्टिंग इंजन का पेटेंट कराया, जहां भाप ने पिस्टन को धक्का दिया और खींचा, जिससे दक्षता और शक्ति में और वृद्धि हुई | भाप इंजन में वॉट के सुधार परिवर्तनकारी थे | भाप शक्ति को काफी अधिक कुशल और बहुमुखी बनाया |
कारखानों को अब पानी की शक्ति के लिए नदियों के पास स्थित होने की आवश्यकता नहीं थी | उन्हे अब लगभग कहीं भी बनाया जा सकता था |
उनके इंजनों ने कपड़ा मिलों, खानों मे (पानी पंप करने के लिए) और अन्य कारखानों को शक्ति प्रदान की | जिससे उत्पादन क्षमता और दक्षता में भारी वृद्धि हुई |
उनके भाप इंजन ने शहरीकरण में योगदान दिया | भाप से चलनेवाले कारखानों के उदय से ग्रामीण कस्बों के लोग , शहरों में रोजगार की तलाश में जाने लगे | प्रस्तुत किताब की –
लेखिका है – निकोला बैक्सटर
पृष्ठ संख्या – 24
सारांश –
जेम्स वॉट का जन्म 19 जनवरी 1736 को स्कॉटलैंड में हुआ | उनकी माता का नाम एग्नेस वॉट था | स्कॉटलैंड में ग्रीनॉक नाम का एक बंदरगाह है | उनका बचपन यही बीता | उनके पिता एक बढ़ई थे | वह मछुआरे और बिल्डरों के लिए सामान बनाते थे |
जेम्स वॉट उतने सेहतमंद नहीं थे | वह अक्सर दांतदर्द और सरदर्द से पीड़ित रहते | इसलिए उनकी माता उन्हें घर पर ही पढ़ाया करती | वह जल्द ही पढ़ाई बातें सीख जाते | उन्हें अपने पिता की कार्यशाला में अलग-अलग चीजे बनाना पसंद था |
बाद में जेम्स स्कूल गया लेकिन वह पढ़ाई में कमजोर निकला सिर्फ मैथ्स को छोड़कर | यह इसलिए भी हो सकता है क्योंकि उसके दादाजी एक गणितज्ञ थे | जैसे कि पहले बताया उसके पिता मछुआरों और नाविकों के लिए सामान बनाते थे | अब यही सामान कभी-कभी रिपेयरिंग के लिए भी आते थे |
इन्हीं में नाविको द्वारा उपयोग में ले जानेवाले उपकरण कंपास और दूरबीन भी थे | उसे ईनकी मरम्मत करना अच्छा लगता था | वह जब 17 साल का हुआ तब उसके माता की मृत्यु हो गई |
उसके पिता का कारोबार बर्बाद हो गया | अब वह वैज्ञानिक उपकरण बनाना सीखने के लिए लंदन जाना चाहता था | वहां जाने पर सिर्फ एक व्यक्ति ने उन्हें काम सीखाना मंजूर किया | वह थे “जॉन मॉर्गन” लेकिन उन्होंने जेम्स के सामने वर्ष भर बिना वेतन कम करने की शर्त रखी |
वॉट इसके लिए मान गए | अब चूंकि वॉट के पास खाने के लिए बहुत कम पैसे बचे थे | वह कड़ी मेहनत कर के सात साल की ट्रेनिंग को एक साल में करना चाहते थे | इसलिए उन्होंने कड़ी मेहनत की | इसका नतीजा यह हुआ कि वह साल के आखिर में बहुत बीमार पड़ गए |
अब वह 20 साल के थे | वह अपनी मातृभूमि स्कॉटलैंड लौटकर आए | वह व्यापार करने के लिए ग्लासगो गए | उस समय ग्लासगो का बंदरगाह एक व्यस्त बंदरगाह था |
ग्लासगो बंदरगाह उभरते वेस्ट इंडीज और अमेरिका के साथ व्यापार कर रहा था | भाग्यशाली जेम्स को ग्लासगो विश्वविद्यालय में नौकरी मिल गई | इसमें उसे जमैका से आए वैज्ञानिक उपकरणों की मरम्मत करनी थी |
जेम्स ने इस काम को बहुत ही अच्छी तरह से किया | इस काम से खुश होकर विश्वविद्यालय ने उसे गणितीय उपकरण निर्माता बना दिया | उसने उनसे बहुत कुछ सीखा |
उन्होंने इसके ज्ञान और कौशल की प्रशंसा की | अब जेम्स वॉट ने अपनी खुद की एक कार्यशाला स्थापित थी | जहां 16 लोग काम करते थे | उनके पुराने मित्र प्रोफेसर जॉन एंडरसन ने मरम्मत करने के लिए एक भाप इंजन लाया | वह शुरुआती प्रकार का भाप इंजन था जिसे न्यू कॉमन इंजन कहा जाता था |
यह बात है सन 1763 की | इस इंजन का उपयोग कोर्निश खदानों से पानी निकालने के लिए किया जाता था | अब न्यू कॉमन इंजन किस तरह काम करता है ? यह आपको पता होना चाहिए | दरअसल , जब पानी को उबालते हैं या बॉइल करते हैं | तो वह गैस में तब्दील हो जाता है | अब पानी के मुकाबले गैस ज्यादा जगह घेरती है | भांप एक कंटेनर में फँस कर जल्दी ठंडी हो जाती और पानी के फॉर्म में आ जाती |
खदानों से पानी पंप करने के लिए न्यू कॉमन इंजन इसीतरह काम करता था | यह अच्छी तरह काम नहीं करता था और इसे चलाने के लिए बहुत सारे कोयले की जरूरत पड़ती थी | उसने इसे सुधारने का निश्चय तो किया लेकिन उसे इसे सुधारने के लिए वर्षों लग गए |
अब तक उसकी शादी होकर उसके दो बच्चे थे | 1774 में उसकी पत्नी की मृत्यु के बाद वह अपने बच्चों को लेकर बर्मिंघम पहुंच गया | यहाँ वह “मैथ्यू बोल्टन” से मिला | वह एक धनी व्यक्ति था और अनेकों कारखानो का मालिक था |
उसकी विज्ञान में बहुत रुचि थी | पैसे कमाने के लिए नए-नए तरीके खोजने भी उसे पसंद थे | अब जेम्स और बोल्टन दोनों को एक दूसरे की जरूरत थी | बोल्टन का कारखाना बर्मिंघम के बाहर “सोहो” में था | वह अपने जमाने के हिसाब से अत्याधुनिक था |
इसमें जेम्स ने अपना बनाया पंप लगाया जो कामयाब रहा | जल्द ही ब्लूमफील्ड कोयला खदान में इस पंप का सार्वजनिक परीक्षण होनेवाला था | यह परीक्षण कामयाब रहा |
उसने 1 घंटे से भी कम समय में करीब 17 मीटर पानी बाहर निकाला और इसमें अन्य इंजीनों की तुलना में एक चौथाई ईंधन का उपयोग हुआ |
नया पंप बनाने के लिए जेम्स को पूरे 11 साल लगे | अब उसने दोबारा शादी कर ली थी | ज्यादा काम करने से उसकी तबीयत खराब हो जाती थी | ऐसे में वह चिड़चिड़ करने लगता था | उसने मैथ्यू के साथ भी खटपट की | सौभाग्य से मैथ्यू समझ गया कि वह बीमार है | यह बात जेम्स की पत्नी एनी ने भी उसे बताई थी |
बोल्टन एक रोटरी गतिवाला इंजन विकसित करना चाहता था | जेम्स ने तीन मीटर लंबे कागज पर इस मशीन का डिजाइन बनाया | इसी मशीन का डिजाइन बोल्टन ने सम्राट जार्ज तृतीय को दिखाया | जेम्स के नए अविष्कार प्रसिद्ध हो गए थे फिर भी वह अपना पूराना भांप का इंजन सुधारना चाहता था |
वॉट ने एक शुरुआती प्रकार के फोटोकॉपियर का आविष्कार किया | इससे हाथ से लिखे पत्रों को कॉपी किया जा सकता था | इससे टाइम की बचत हुई | उसने इंजन की ताकत को हॉर्स पावर में बताया | इस के लिए उसने जांच की , की एक घोड़ा एक मिनट में कितने किलो वजन उठा सकता है |
बोल्टन और वॉट स्टीम इंजन की वजह से प्रसिद्ध और अमीर हो गए थे | अब दूसरे लोग हमेशा उनकी आइडिया चुराने की फिराक मे रहते | इससे बचने का एकमात्र तरीका पेटेंट लेना था | पर यह कुछ ही वर्षों तक चल सकता था |
सन 1800 में जब उनके पेटेंट की अवधि खत्म हुई तो दोनों ने रिटायरमेंट ले लिया | जेम्स वॉट तब 64 साल के थे और बोल्टन 70 साल के … पर जेम्स को आविष्कार करने में मजा आता था | अतः उन्होंने घर मे ही एक लैब खोल ली |
सन 1804 में उनके पहले स्टीम इंजिन लोकोमोटिव ने 16 किलोमीटर की यात्रा की | 1819 में जेम्स ने दुनिया को अलविदा कहा | उनके अविष्कारों ने ब्रिटेन को दुनिया का सबसे बड़ा औद्योगिक देश बनने की राह पर अग्रसर किया | इससे ब्रिटेन का चेहरा हमेशा के लिए बदल गया |
भांप के इंजन बनने के पहले किसी भी मशीन को पावर देने के लिए इंसानी ताकत , पानी या हवा का इस्तेमाल किया जाता था | उनके बनाए स्टीम इंजन अधिक शक्तिशाली थे और उन्हें कहीं भी बनाया जा सकता था |
शक्ति की इकाई “वॉट” जेम्स वॉट के नाम पर रखा गया है | “वॉट” का उपयोग विद्युत शक्ति मापने के लिए किया जाता है |
जेम्स वॉट द्वारा इजाद किया गया हॉर्स पावर का माप लगभग 750 वॉट के बराबर होता है | जिन वैज्ञानिकों की वजह से पिछड़े हुए देश भी तेजी से आगे की ओर निकल गए | ऐसे वैज्ञानिकों के बारे मे हमे जरूर पढ़ना चाहिए |
एक जमाने मे इंग्लैंड , भारत देश के मुकाबले काही ज्यादा पीछे था | यह आप को “भारत मे अंग्रेजी राज” इस किताब से पता चलेगा | तो मुग़ल सम्राट जहांगीर के मुकाबले ब्रिटेन की रानी एक सूबेदारिन जैसी थी | यह बात “आधी रात को आजादी” इस किताब मे लिखी है |
ऐसी स्थितियोंवाले ब्रिटेन ने भारतवर्ष पर कई वर्षों तक राज किया | उनके इस मजबूत स्थिति का श्रेय ऐसे ही वैज्ञानिकों को जाता है | इसीलिए इनके बारे मे जरूर पढ़ना चाहिए | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते है और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए ….
धन्यवाद !!
JAMES WATT BIOGRAPHY BOOK REVIEW HINDI