नेल्सन मंडेला – आजादी का लंबा सफर
क्रिस वैन वाय्क द्वारा लिखित
रिव्यू –
नेल्सन मंडेला, जिन्हें प्यार से “मदीबा” भी कहा जाता है | वह 20वीं सदी के एक महान व्यक्तित्व थे | उनकी न्याय , समानता और सुलह के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए दुनिया भर में सराहना की जाती है |
उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और देश के पहले लोकतांत्रिक रूप से चुने गए राष्ट्रपति बने |
वह सन 1944 में अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस याने के ANC में शामिल हो गए और ANC यूथ लीग (ANCYL) बनाने में मदद की | 1948 में शुरू हुए रंगभेद कानूनों के खिलाफ वे एक प्रमुख विरोधी बन गए |
सन 1952 में, उन्होंने और ओलिवर टैम्बो ने दक्षिण अफ्रीका मे पहली अश्वेत कानूनी फर्म खोली, जो रंगभेद कानूनों से प्रभावित लोगों को कानूनी सलाह देती थी |
शुरू में वह अहिंसा के पक्षधर रहे क्योंकि वह गांधीजी के विचारों से प्रेरित थे | बाद में 1961 में ANC की सशस्त्र शाखा, “उमखोंतो वे सिज़वे” जिसका अर्थ होता है “राष्ट्र का भाला” की सह-स्थापना की और उसके पहले कमांडर-इन-चीफ बने | इसका उद्देश्य रंगभेद सरकार के खिलाफ तोड़फोड़ करना था |
उन्हें बार-बार देशद्रोही गतिविधियों के लिए गिरफ्तार किया गया | सन 1964 के रिवोनिया ट्रायल के दौरान उन्होंने एक शक्तिशाली बयान दिया | इसके लिए उन्हें कई अन्य लोगों के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई |
उन्होंने 27 साल जेल मे बिताए | फिर से सुनिए , पढ़ने मे भूल – चूक न हो जाए | उन्होंने 27 साल जेल में बिताए | सन 1964 से लेकर तो सन 1990 तक | इसमे से ज्यादातर समय उन्होंने रॉबेन द्वीप जेल में बिताया |
जेल की कठोर परिस्थितियों के बावजूद, उनकी प्रतिष्ठा विश्व स्तर पर बढ़ी और वे रंगभेद के खिलाफ प्रतिरोध का एक शक्तिशाली प्रतीक बन गए | “नेल्सन मंडेला को मुक्त करो” अभियान ने अंतर्राष्ट्रीय गति पकड़ी, जिससे दक्षिण अफ्रीकी सरकार पर दबाव पड़ा | 11 फरवरी 1990 को, उन्हें राष्ट्रपति एफ.डब्ल्यू. डी. क्लार्क से बातचीत के बाद रिहा किया गया |
अपनी रिहाई के बाद, मंडेला ने एक शांतिपूर्ण, बहुजातीय लोकतंत्र में परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | सन 1991 में, उन्हें ANC का अध्यक्ष चुना गया |
सन 1994 में दक्षिण अफ्रीका में हुए ऐतिहासिक लोकतांत्रिक चुनावों के बाद, उन्हें देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति के रूप में चुना गया | उन्होंने 1994 से 1999 तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया | इस दरम्यान उन्होंने नस्लीय सुलह और एक एकजुट दक्षिण अफ्रीका के निर्माण पर ज्यादा ध्यान दिया |
उन्होंने सत्य और सुलह आयोग याने TRC की स्थापना की, जिसमे रंगभेद के दौरान मानव अधिकारों के उल्लंघन की जांच की जाती थी |
माननीय नेल्सन मंडेला के साथ मिलकर रंगभेद खत्म करने में मदद के लिए, क्लार्क को मंडेला के साथ संयुक्त रूप से 1993 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था |
राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद, उन्होंने नेल्सन मंडेला चिल्ड्रेन्स फंड, नेल्सन मंडेला फाउंडेशन और मंडेला रोड्स फाउंडेशन के माध्यम से विभिन्न धर्मार्थ कार्यों के लिए खुद को समर्पित किया, शांति, समानता और एड्स के खिलाफ लड़ाई और वकालत की |
5 दिसंबर 2013 को 95 वर्ष की आयु में नेल्सन मंडेला चल बसे | उन्हें दृढ़ता, क्षमा के लिए पूरे विश्व में याद किया जाता है | वह मानवाधिकारों संघर्ष का स्थायी प्रतीक बने हुए हैं |
नेल्सन मंडेला का जीवन हमें सिखाता है कि न्याय और समानता के लिए संघर्ष में कभी हार नहीं माननी चाहिए | उनका योगदान दुनिया भर में प्रेरणा का स्रोत है |
नेल्सन मंडेला और भारत के बीच गहरा और विशेष संबंध था, जो महात्मा गांधी के विचारों और दक्षिण अफ्रीका में भारत की रंगभेद विरोधी आंदोलन के प्रति अटूट समर्थन से प्रेरित था |
श्रीमान मंडेला महात्मा गांधी को अपना “राजनीतिक गुरु” और “रोल मॉडल” मानते थे | उन्होंने गांधी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों की हमेशा प्रशंसा की और उनके विचारों का पालन करने का प्रयास किया |
नेल्सन मंडेला ने स्वीकार किया कि गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में ही “सत्य के साथ प्रयोग” किया और यहीं उन्होंने “सत्याग्रह” को संघर्ष और एक तरीके के रूप में विकसित किया |
मंडेला ने अपनी शुरुआती डायरियों में रॉबेन द्वीप से लिखा था कि प्रतिरोध की उनकी प्रेरणा भारतीय समुदाय से आई थी जिसका गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में नेतृत्व किया था, जिसे अक्सर सत्याग्रह का उद्गम स्थल कहा जाता है |
मंडेला और गांधीजी दोनों ने अत्याचार का सामना किया और अपनी संबंधित सरकारों के खिलाफ अपने लोगों को संगठित किया जिन्होंने उनकी स्वतंत्रता का उल्लंघन किया था | दोनों ने अपने राजनीतिक जीवन में कई बार जेल काटी, और दोनों ने जोहान्सबर्ग की फोर्ट जेल में समय बिताया |
रंगभेद के खिलाफ लड़ाई में भारत ने दुनिया भर में सबसे पहले समर्थन दिया | यह रंगभेद सरकार से व्यापार संबंध तोड़नेवाला पहला देश था | 1946 में और बाद में दक्षिण अफ्रीका पर पूर्ण राजनयिक, वाणिज्यिक, सांस्कृतिक और खेल प्रतिबंध लगा दिए |
भारत ने रंगभेद के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र, गुटनिरपेक्ष आंदोलन और अन्य बहुपक्षीय संगठनों के एजेंडे में लाने के लिए लगातार काम किया |
अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस (ANC) ने 1960 के दशक से नई दिल्ली में एक प्रतिनिधि कार्यालय बनाए रखा | भारत ने फ्रंटलाइन देशों को समर्थन के माध्यम से संघर्ष को बनाए रखने के लिए अफ्रीका फंड के लिए सक्रिय रूप से काम किया |
महात्मा गांधी की पोती, डॉ. एला गांधी, और अन्य भारतीय मूल के लोग दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद विरोधी आंदोलन में मंडेला और व्यापक आंदोलन के साथ खड़े थे और उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया |
1990 में जेल से छूटने के बाद, भारत ने श्रीमान मंडेला को अपने सबसे बड़े नागरिक सम्मान, भारतरत्न से नवाजा | उन्हें यह सम्मान 1993 में नोबेल शांति पुरस्कार मिलने से पहले ही मिल गया था।और वह भारतरत्न सम्मान प्राप्त करनेवाले पहले गैर-भारतीय थे |
उन्होंने सन 1990 में अपनी रिहाई के बाद, गांधीजी की भूमि को अपनी पहली विदेशी यात्रा के रूप में चुना, जिसे उन्होंने “तीर्थ यात्रा” कहा |
सन 2001 में, भारतीय सरकार ने उन्हें उनके शांति प्रयत्नों के लिए “अंतर्राष्ट्रीय गांधी शांति पुरस्कार” से सम्मानित किया |
सन 1994 में दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बनने के बाद, मंडेला ने भारत के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए | दोनों देशों ने IBSA (भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका) और BRICS जैसे समूहों के माध्यम से संबंध बनाए |
मार्च 1997 में, राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला की भारत यात्रा के दौरान, भारत और दक्षिण अफ्रीका ने रेड फोर्ट घोषणा नामक एक रणनीतिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे दक्षिण अफ्रीका भारत का पहला रणनीतिक भागीदार बन गया |
संक्षेप में, नेल्सन मंडेला का भारत के साथ एक गहरा वैचारिक और भावनात्मक जुड़ाव था जो महात्मा गांधी के सिद्धांतों से प्रेरित था, और भारत ने रंगभेद के खिलाफ उनके संघर्ष में लगातार उनका समर्थन किया | यह संबंध आज भी दोनों देशों के बीच मजबूत दोस्ती और सहयोग का आधार बना |
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सवाल है ? जवाब यहाँ है | (FAQs SECTION)
Q.1.नेल्सन मंडेला की सबसे अच्छी जीवनी कौन सी है?
A “Long Walk to Freedom” यह किताब खुद मंडेला द्वारा लिखी गई है जिसमे उन्होंने अपने जीवन के कटु और सुखद और ज्यादातर दुखद अनुभव साझा किए है |
यही उनकी सबसे अच्छी जीवनी है |
Q.2.नेल्सन मंडेला द्वारा लिखी गई जीवनी कौन सी है?
A. “Long Walk to Freedom”
Q.3.नेल्सन मंडेला ने अपनी पुस्तक कहाँ लिखी थी?
A.नेल्सन मंडेला ने अपनी जीवनी “Long Walk to Freedom” रॉबेन द्वीप पर 1976 मे कई हिस्सों मे लिखी जहाँ उनको लंबे समय तक कैद में रखा गया था |
Q.4.नेल्सन मंडेला की सबसे अच्छी आत्मकथा कौन सी है?
A. “Long Walk to Freedom” ही उनकी आत्मकथा है | उनसे ज्यादा उनको और कौन जान सकता है | इसीलिए उनके बारे मे जानने के लिए यही सबसे अच्छी किताब है |