बॅडमैन – गुलशन ग्रोवर के साथ
रोशमिला भट्टाचार्य द्वारा लिखित
रिव्यू –
किताब के मुखपृष्ठ पर दिखनेवाले तीनों नाम अभिनेता गुलशन ग्रोवर के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं | बॉलीवुड में जहाँ लोग नायक बनने के लिए आते हैं | वहीं उन्होंने खलनायक बनना चुना क्योंकि उन्होंने अपनी कमियों को जान लिया था | उन्ही कमियों को उन्होंने अपनी ताकत बनाया और इस इंडस्ट्री के प्रसिद्ध खलनायक बन गए |
वह पर्दे पर भले ही खलनायक का काम करते हो ! पर असल जिंदगी में वह एक सीधे – सरल व्यक्ति है | इसी कारण उन्होंने इंडस्ट्री में अपने बहुत सारे दोस्त भी कमाए | इसमें से ही एक है – भारत के प्रसिद्ध अंबानी परिवार की बहू “टीना अंबानी” | जो उनके करियर के शुरुआत से ही उनकी अच्छी मित्र रही है | वह आज भी अपने पूरे लवाजमें के साथ उनके घर कभी-कभी खाना खाने आती है |
वह भी हर माता-पिता की तरह ,अपने बेटे को बहुत ज्यादा प्यार करते हैं | इसीलिए शायद यह किताब उन्होंने अपने बेटे को समर्पित की है | उन्होंने अपने करियर के उतार-चढ़ाव को पूरे 17 अध्यायो में पिरोया है जिसमें शामिल है , उनका बचपन , बॉलीवुड में नाम कमाने का सफर , तब के प्रिंस और अभी के महाराज चार्ल्स से मिलने की घटना , हॉलीवुड में अपनी जगह बनाने का सफर |
उनकी माता के कहे अनुसार रामायण को दिलचस्प रावण बनाता है | देखा जाए तो , यह भी सच है , जब तक विलेन बुराई नहीं करेगा | तो हीरो अपनी अच्छाई कैसे दिखाएगा ? इसीलिए शायद उन्होंने खलनायक के किरदार निभाने का चुनाव किया | वैसे भी जब वह इंडस्ट्री में आए तो बहुत से लोग जो शक्ल – सूरत और आवाज मे अच्छे थे | पहले से ही कतार में खड़े थे |
इनके बीच खुद को टिकाए रखना | वह भी लंबे समय के लिए … तो उन्हें कुछ हटके करना था | इसीलिए फिर उन्होंने अपने हर एक रोल के साथ अलग-अलग गेट – अप का एक्सपेरिमेंट किया जो कामयाब रहा और इसी वजह से वह हमें अलग-अलग फिल्मों में विविध गेटअप के साथ दिखाई दिए |
वह बॉलीवुड के सबसे पहले ऐसे कलाकार थे जो हॉलीवुड में काम करने के लिए अपना देश छोड़कर नहीं गए बल्कि उन्होंने दोनों के बीच एक पूल का काम किया | उन्होंने हॉलीवुड में अपनी मेहनत और लगन से आनेवाली पीढ़ियों के लिए रास्ते खोल दिए | उन्होंने बॉलीवुड – हॉलीवुड के साथ-साथ अन्य कई देशों के फिल्मों में भी काम किया |
उन्होंने कुल मिलाकर 500 से ज्यादा फिल्में की | आज उनकी यह धरोहर उनके बेटे संजय ग्रोवर संभाल रहे हैं जो हॉलीवुड के स्टूडियो में उच्च – पदस्थ अधिकारी रह चुके हैं | उन्होंने अपना बचपन दिल्ली के बाहरी इलाकों में बिताया | जहां सभ्यता की कमी थी , से लेकर तो प्रिंस चार्ल्स का स्पेशल मेहमान बनने तक का सफर तय किया है | उनके इस जीवनी की लेखिका है – रोशमिला भट्टाचार्य
प्रकाशक है – प्रभात प्रकाशन
पृष्ठ संख्या – 197
उपलब्ध है – अमेजॉन और किंडल पर
सारांश –
गुलशन ग्रोवरजी ने भले ही अपना बचपन दिल्ली के बाहरीवाले और सुविधाजनक इलाकों में बिताया हो ! अपनी प्रारंभिक पढ़ाई सरकारी स्कूल से की हो पर अपना ग्रेजुएशन दिल्ली की प्रसिद्ध कॉलेज से किया |
उसी कॉलेज में वह थिएटर करने लगे | एक्टिंग की नींव उनके बचपन में ही पड़ चुकी थी क्योंकि उनके पिता उनके मोहल्ले मे रामलीला का आयोजन करते थे जिसमें गुलशन जी भी कोई रोल निभा लेते थे | कॉलेज में उनके बैचमेट रहे बहुत से लोग अभी भारत के प्रभावशाली लोगों में शामिल है | एक्टर बनने के लिए वह पहली बार मुंबई आए तो टाइम लिमिटेशन के साथ आए थे |
वह तीन महीने में ही वापस लौट गए | एक्टर बनने के लिए वह F.T.I.I. में गए | उसके बाद उन्होंने एक्टिंग गुरु प्रोफेसर रोशन तरेजा की इंस्टिट्यूट ज्वाइन कर ली | साथ में वह रोल के लिए भी ट्राई करते रहे पर उन्हें कोई काम नहीं मिला |
F.T.I.I. से निकलनेवाले बेहतरीन कलाकारों में शामिल है ,जया भादुरी , नसीरुद्दीन शाह ,शबाना आज़मी , ओम पुरी , शत्रुघ्न सिन्हा , सुभाष घई , असरानी , मिथुन चक्रवर्ती ई. | यह सारे दिग्गज कलाकार गुलशन ग्रोवरजी के सीनियर थे |
अनिल कपूरजी उनके बैचमेट थे | जब वह इसी इंस्टिट्यूट मे टीचर थे , तब उनके पास संजय दत्त , सनी देओल , कुमार गौरव एक्टिंग सीखने आते थे | ऐसे में वह संजय दत्त के अच्छे मित्र बन गए | संजय दत्त की वजह से उन्हें टीना मुनीम जैसी अच्छी दोस्त मिली | सुनील दत्त जी का बहुत प्यार मिला और रॉकी फिल्म मे काम के साथ-साथ एक बाइक भी मिली |
भले ही वह एक्टिंग स्कूल से थे , फिर भी डांसिंग उनके बस की बात नहीं थी | इसलिए वह डांस के नाम से ही डर जाते थे | अनिल कपूर जी ने उनकी इसमें बहुत बार मदद की | उनका करियर तब चल निकला जब उन्होंने सुपरहिट फिल्म “सदमा” में खलनायक का काम किया |
इसमें उन्हें सुपरस्टार श्रीदेवीजी से एक सिख मिली की कोई भी सीन करते वक्त अपने को – स्टार महिलाओं की मर्यादाओं का पालन करना | उन्होंने यह सिख ताउम्र अपनायी | उनकी साथी को – स्टार महिलाएं उनकी आंखों में आए भावों को देखकर असहेज महसूस नहीं करती थी | इसी कारण बहुत – सी हीरोइने , खलनायक के पात्र के लिए उन्ही का नाम रिकमेंड करती थी | यह उनके अच्छे चरित्र की ही जीत थी |
“सौदागर , राम लखन ” जैसी हिट फिल्मों में खलनायक की भूमिका कर के वह प्रसिद्ध खलनायक बन गए | इसके साथ ही उनकी फैन फॉलोइंग भी बढ़ने लगी | उनके अच्छे स्वभाव के कारण उन्हें संजय दत्त , अनिल कपूर , जॅकी श्रॉफ ,अक्षय कुमार , सुनील शेट्टी जैसे अच्छे मित्र मिले जो उनके करियर के पूरे सफर मे उनके साथ बने रहे | उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से बहुत सारे दिग्दर्शकों के मन में भी अपने लिए जगह बनाई|
जब वह हॉलीवुड में अपना भाग्य आजमाने गए | तो वहां के लोग उनके साथ कैसे व्यवहार करते थे ? इसके कटु अनुभव उन्होंने साझा किए हैं | गुलशन ग्रोवरजी के पहले किसी ने भी विदेशियों का भारतीय सिनेमा के प्रति नजरिया बदलने की कोशिश नहीं की | हॉलीवुडवालों को लगता था की बॉलीवुड के लोग कुर्ता – पजामा पहनकर एक्टिंग करते हैं | बीच-बीच में आनेवाले गानों के बारे में वह समझ ही नहीं पाते थे | ऐसे में गुलशनजी भारत से बहुत सी भारतीय फिल्मों की डीवीडी लेकर जाते थे |
वहां प्राइवेट स्क्रीनिंग कर उन्हें दिखाते थे और अपनी ऐसे ही अलग-अलग कोशिशें से उन्होंने हॉलीवुड को भारतीय सिनेमा से परिचित करवाया | उनका नजरिया बदलवाया | जब वह हॉलीवुड में कोशिश कर रहे थे | तब वहां के लोग उनके साथ नौसिखिये जैसा बर्ताव करते थे जबकि वह भारत में एक सुपरस्टार थे | जब वह अपनी स्क्रीन टेस्ट देते थे तो वह लोग उन्हें नजर अंदाज कर देते थे पर वह इसे भी बर्दाश्त कर जाते |
अमेरिका में रहनेवाले भारतीय लोग जब उन्हें नौसीखिए लोगों के साथ स्क्रीन टेस्ट देते देखते तो नाराज हो जाते थे | समय के साथ उन्होंने अपनी मेहनत लगन और दमदार एक्टिंग से पश्चिम का दिल जीत ही लिया और अपने देश का नाम रोशन किया |
आज हॉलिवुडवालों को भारतीय कलाकारों को अपने फिल्मों में लेने पर फक्र महसूस होता है | उनका यह सफर अन्य देशों के फिल्मों में काम करने के साथ जारी है | स्लमडॉग मिलियनेयर में इरफान खान द्वारा किए जानेवाला रोल वह अपनी व्यस्तता के कारण नहीं कर पाए थे |
इसका उन्हें बहुत खेद है | नहीं तो वह भी ऑस्कर के लिए रेड कार्पेट पर चल रहे होते | ऐसे ही उनके जीवन की और घटनाओं को जानने के लिए आप उनकी यह बायोग्राफी जरूर पढ़ें | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहीए | मिलते हैं और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए ….
धन्यवाद !!
BADMAN BOOK REVIEW SUMMARY HINDI
