84 CHAURASI BOOK REVIEW SUMMARY HINDI

चौरासी 84

सत्य व्यास द्वारा लिखित

रिव्यू _

यह एक प्रेमकहानी है | यह ऋषि और मनु की प्रेमकहानी है | प्रेम – जिसमे घरवाले न देख ले इसका डर हो , समाज का डर हो , एक दूसरे से मिलने की तड़प हो | ऋषि और मनु का प्रेम जिसमे वे दोनों बात करने के लिए अपने ही संकेत तय करते है | सब भूले ना भूले , पर बोकारो शहर ऋषि और मनु को कभी भुला नहीं | उसे उन दोनों की कहानी अभी भी याद है जब वे इस शहर मे रहा करते |

यह कहानी है उत्तर प्रदेश में बसे बोकारो शहर की जो.. नया-नया बसा है क्योंकि यहां इस्पात कंपनियां खुल गई है | जाहिर है कि कंपनी में काम करने वाले परिवारों की जरूरतों के लिए नई – नई दुकानें , हाट -बाजार सजने लगे | कुछ लोग अपने व्यवसाय में इतने सफल हुए कि , उन्होंने फिर यही जमीन लेकर ,अपने आलीशान घर बनवाए और राजाओं की जिंदगी जीने लगे |

उनमें से ही एक है छाबड़ाजी ! किताब की नायिका , मनु के पिताजी .. | बोकारो शहर नया-नया बसा होने की वजह से वहां अभी रस्ते ढंग से बने नहीं है | अक्सर वहां ट्रैफिक जाम हो जाता है |

इसी ट्रैफिक जाम की बदौलत कहानी का नायक ऋषि , मनु से पहली बार मिलता है | यह एक अन्तर्जातीय प्रेमकहानी है |

1984 भारतीय राजनीति का वह काल है जिसमे बहुत उथल – पुथल मच गई |बहुत सारे दंगे फसाद हुए | इस दंगे फसाद की आड़ में बहुतो ने अपना स्वार्थ सिद्ध किया | इसी सामाजिक उथल-पुथल का असर ऋषि और मनु की प्रेम कहानी पर भी हुआ |

दोनों को यह शहर छोड़ना पड़ा | सामाजिक अस्थिरता का असर तो इन दोनों को झेलना ही था क्योंकि यह दोनों भी सामाजिक प्राणी ही है | समाज के बगैर इनका अस्तित्व कैसा ?

कहानी के किरदार आपको अपने से लगने लगेंगे | हो सकता है – कहानी में वर्णित प्रेममय परिस्थितियां आपको अपनीसी लगने लगे क्योंकि बहुतों ने अपने जीवन मे प्रेम तो किया ही होगा | हो सकता है की – यह आपको आप के उन दिनों में लेकर जाए और आपको एक खुशनुमा एहसास दिलाए |

किताब को जरूर पढ़िएगा |आप के पैसे बर्बाद नहीं होंगे |किताब बहुत अच्छी है | आप एक बार पढ़ना शुरू करेंगे तो इसे रखने की इच्छा नहीं होगी |लेखक की जानकारी भी हम हमारे आनेवाले विडिओ मे बताएंगे | इस बेहतरीन किताब के –

लेखक है – सत्य व्यास

प्रकाशक है – हिन्द युग्म

पृष्ठ संख्या – 105

उपलब्ध है – अमेजॉन पर

सारांश

कहानी बोकारो शहर की पृष्ठभूमि लिए हुए है | जिसका हाल हम आपको रिव्यु में बता ही चुके हैं | इसी बोकारो शहर में छाबड़ा जी का घर है | उसमें सीढ़ियों के नीचे वाले कमरे में ऋषि किराए पर रहता है | वह अपने मोहल्ले में एक सज्जन लड़का है | जिसकी सब तारीफ करते हैं | उसके मां और पिता गुजर चुके है |

वह एक शिक्षित युवक है | दूसरे मुहल्ले के बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर अपना गुजर बसर करता है | उसके पिताजी की निशानी के तौर पर उसके पास उनकी मोटरसाइकिल है | जैसे ही ऋषि अपने मोहल्ले से बाहर निकलता है | वह उद्दंड और लड़ाई झगड़ा करने वाला हो जाता है | इन सब बातों पर मनु का विश्वास नहीं जो अभी अभी गांव से अपने पिता के पास रहने आई है |

बोकारो शहर का ट्रैफिक इन दोनों को मिलाने में मदद करता है | मनु का पढ़ाई में मन नहीं लगता फिर भी वह सिर्फ ऋषि का सानिध्य पाने के लिए उसे ट्यूशन लेने के लिए मना लेती है | वह हमेशा ऋषि को छेड़ते रहती है और ऐसे ही उनकी कहानी आगे बढ़ती जाती है | फिर वह घटना घटती है जिसमें पूरे देश के साथ-साथ बोकारो शहर में दंगे भड़क जाते हैं |

इन दंगों मे , बोकारो शहर में रहने वाले छाबड़ा जी , सैनी और इनके जैसे और भी बहुत लोगो के घर , व्यवसाय दुकानो को तबाह किया जाता है | यहां तक कि उनकी जान भी ले ली जाती है |अब सिर्फ इन लोगों को ही क्यों निशाना बनाया जाता है ? यह तो आप को किताब मे ही पढ़ना होगा क्योंकि यही तो कहानी का गाभा है |

दंगों की आड में पड़ोसी – पड़ोसी का दुश्मन हो जाता है |अपनों का विश्वास हार जाता है और पैसा जीत जाता है | जैसे कि एक युवक और उसकी मां का बड़ा सा मकान हड़पने के लिए , उसी युवक के पिता का दोस्त दंगाइयों को उन दोनों का पता बता देता है |

दोनों मां-बेटे मारे जाते हैं और उनका घर उसके पिता के दोस्त का हो जाता है | इधर छाबड़ाजी का मित्र है सैनी | उसकी बड़ीसी दुकान के कारण रमाकांत को अपनी दुकान बढ़ाने में परेशानी हो रही है | इसीलिए वह भी दंगे की आड़ में सैनी और उसके भतीजे को मरवा देता है |अब उसे दुकान बढ़ाने से कोई नहीं रोक पाएगा | जमीन – जायदाद का लालच इनके अंदर के इंसानियत को मार देता है |

इन सारे प्रसंगों का वर्णन लेखक ने ऐसा किया है कि , पढ़ते वक्त सर्र से अंगों पर कांटे खड़े हो जाते हैं | मन विषाद से भर जाता है | गरुड़ पुराण में हर पाप के लिए भयंकर सजाए लिखी है | जब इन लोगों की आत्माए वहाँ पहुँचती होगी तो कितनी तड़पती होंगी |

ऋषि के पिता की इस्पात कंपनी में काम करते हुए मौत हो जाती है | इसीलिए ऋषि चाहता है कि , उसके पिता के बदले उसको नौकरी मिले | इसके लिए वह धरना देता है | इसी के चलते उसका स्थानीय नेताओं के साथ संबंध आता है | यहीं छूटभैये नेता बोकारो शहर में दंगा फैलाते हैं | ऋषि भी दंगे वालों के समूह में शामिल है लेकिन यह उसकी मजबूरी है | वह बहुत से लोगों को बचाने की कोशिश करता है |

वह किसी की भी जान नहीं लेता | दंगे वाले समूह में शामिल होने की वजह से उसे उनका प्लान पता होता है | इसी वजह से वह उसके मनु को याने के छाबड़ा परिवार को बचाने में कामयाब हो पाता है | दो-तीन दिन में सारे पीड़ित परिवारों को सुरक्षित जगह पहुंचा दिया जाता है | और फिर मनु ऋषि से दूर हो जाती है |

ऋषि को भी दूसरे शहर में नौकरी लग जाती है | तो क्या इन दोनों के प्रेमकहानी का अंत ऐसे ही है ? क्या यह दोनों फिर कभी नहीं मिल पाते ? इनके कहानी का अंत सुखद है या दुखद ? किताब पढ़कर जरूर जाने |

धन्यवाद !!

Wish you happy reading …..!!

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