12th फेल
अनुराग पाठक द्वारा लिखित
रिव्यू – Read more
“करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान , रस्सी आवत जावत के सिल पर पडत निसान ” यह कहावत कहानी के नायक मनोज पर सटीक बैठती है क्योंकि वह 12वीं कक्षा में हिंदी को छोड़कर सारे विषयों में फेल हो जाता है | बाद में अपनी मेहनत और लगन से वह यूपीएससी जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में उत्तीर्ण होकर उच्च अधिकारी का पद प्राप्त कर लेता है | यह किताब अच्छी खांसी प्रचलित हुई थी | इस किताब पर बॉलीवुड मे फिल्म भी बनी है | बस यह रिलीज होने की है | आप इसके ट्रैलर यूट्यूब पर देख सकते है या इसके बारे मे गूगल पर सर्च कर सकते है | फिलहाल तो बात करते है इस किताब की ..
जहां आजकल अंग्रेजी भाषा का ही बोलबाला है | वहां अगर आप हिंदी भाषा में ही अच्छे है तो भी आप उच्च पदाधिकारी बन सकते हैं | यह मनोज की विजय ने साबित किया है | बस मेहनत और धैर्य का साथ कभी मत छोड़िएगा | इस किताब को ट्वेल्थ फेल यह शीर्षक इसलिए दिया होगा क्योंकि डॉक्टर , इंजीनियर , फार्मेसी या ऐसे ही तत्सम प्रोफेशनल एजुकेशन के लिए 12वीं क्लास में पहले ही अटेम्प्ट मे पास होना ही जरूरी नहीं होता अपितु अच्छे परसेंटेज के साथ पास होना जरूरी होता है |
ऐसे में अगर कहानी का नायक इतनी उच्च परीक्षा दे रहा है तो वह 12th फेल कैसे हो सकता है ? यह किताब सच्ची घटना और पात्रों पर आधारित है | जो आईपीएस ऑफिसर श्री मनोज कुमार शर्मा और उनकी पत्नी श्रद्धा शर्मा की कहानी है | यह नायक के संघर्ष की गाथा है | जिसने अपनी कमजोरियों को अपनी ताकत में बदलकर कामयाबी की बुलंदियों को छुआ सिर्फ अपनी मेहनत और लगन से | पैसों के अभाव मे आटा चक्की पर काम करना हो या लाइब्रेरी मे | मनोज ने मेहनत और संघर्ष करना कभी नहीं छोडा | हम आशा करते हैं कि देश भर में यूपीएससी और पीएससी परीक्षा की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए यह किताब एक आशा की किरण साबित हो ! जो उन्हे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करे |
वैसे भी किताब में वर्णित एक पात्र अश्विन का टाइम टेबल और ट्रिक्स फॉलो कर मनोज सफलता पाता है | वैसे ही यह टाइम टेबल आप भी आजमाकर देखें और सफल होइए | आपकी सफलता के लिए हमारी तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं | इस प्रेरणादायी किताब के –
लेखक है – अनुराग पाठक
पृष्ठ संख्या – 175
उपलब्ध – अमेजन पर
आइए अब देखते है इसका सारांश –
सारांश –
मनोज , मुरैना , भिंड , मध्य प्रदेश का निवासी है | जब वह बारवी कक्षा की परीक्षा देने स्कूल जाता है तो उनके स्कूल में कॉपी नहीं करने दी जाती | यह सब होता है उनके प्रदेश के “डिप्टी कलेक्टर, राघवेंद्र सिंह “की वजह से .. नकल न करने के कारण मनोज बारवी परीक्षा में फेल हो जाता है | यह उसके जिंदगी का पहला टर्निंग प्वाइंट है | मनोज हिंदी छोडकर बाकी सारे विषयों मे फेल हो जाता है | इसी दौरान मनोज के पिता भी अपने नौकरी से सस्पेंड कर दिए जाते हैं |
इस वजह से घर की हालत खराब है | मनोज और उसका भाई दिलीप घर की स्थिति सुधारने के लिए टेंपो लेकर उसे चलाते हैं | जिस रास्ते पर इनका टेम्पो चलता है | उसी रास्ते पर एक अमीर और ताकतवर आदमी की बस भी चलती हैं | इनके टेम्पो के कारण उसकी कमाई में कमी आती है | इसलिए वह उन्हीं के प्रदेश के इंस्पेक्टर से उनका टेम्पो पकड़वा देता है |
संयोग से यह केस राघवेंद्र सिंग के सामने आता है | वह पल भर में दूध का दूध पानी का पानी कर देते हैं | उनके पद के इस प्रभाव को देखकर मनोज प्रभावित हो जाता है | वह तभी निश्चय करता है कि वह राघवेंद्र सिंह के जैसा बनेगा | यह उसके जिंदगी का दूसरा टर्निंग पॉइंट है | उसने निश्चय तो कर लिया लेकिन वह तो ट्वेल्थ फेल है | बड़ा उच्च अधिकारी बनेगा कैसे ? सपना तो देख लिया लेकिन उसके लिए बहुत पढ़ाई और मेहनत की जरूरत होती है |
अपने सपने को पूरा करने के लिए फिर वह साइंस स्ट्रीम छोड़ कर आर्ट लेता है और इसी में 12वीं पास करता है | ग्रेजुएशन के लिए वह ग्वालियर जाता है | ग्रेजुएशन के 3 साल के दौरान उसे कभी पैसे के अभाव मे आटा चक्की में , तो कभी लाइब्रेरी में काम करना पड़ता है | क्योंकि उसके पिता को बार-बार नौकरी से सस्पेंड कर दिया जाता है | वह भी भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने सिद्धांतों पर अड़े हैं |
शायद उसके पिता की यही जिद मनोज में भी आ जाती है | यह किताब मे दिए गए प्रसंगों से पता चलता है | कुछ प्रसंगो को लेखक ने कॉमेडी का जामा पहेनाकर पेश कीया है जो आप को बीच – बीच मे हँसाते रहते है | मनोज के पिता तो सिद्धांतों पर अड़े रहते हैं लेकिन मनोज की मां वास्तविक के धरातल पर रहती है | वह कभी गहने गिरवी रखकर तो कभी पैसे उधार लेकर मनोज को पढ़ाई के लिए मदद करती है | ग्रेजुएशन के इन दिनों में वह स्वामी विवेकानंद के एक आश्रम में स्वयंसेवी भी बन जाता है |
वह जीवन भर यही करना चाहता है | मनोज को उसके इस विचार से पराभूत करता है | उसका मित्र राकेश | वह गांव में भैंस चराता है लेकिन उसके विचार एक सधे हुए वैचारिक व्यक्ति जैसे बताए है | इन्हीं दिनों में मनोज को पांडे नामक मित्र मिलता है जो कहानी के आखिर तक साथ रहता है | मनोज को आटा चक्की पर काम करता देख पांडे को बहुत बुरा लगता है | वह अपने खर्चे में मनोज का भी खर्चा चला लेता है और मनोज की नौकरी के लिए तोमर सिंह के यहां ले जाता है |
तोमर सिंह एक ऐसे व्यक्ति हैं जो मनोज को वक्त वक्त पर मोटिवेट करते रहते हैं | ग्रेजुएशन के दिनों में पहले ही साल मे मनोज को दूसरे लड़के की ईर्ष्या के चलते रूम के बाहर रहना पड़ता है | दूसरी बार एकतरफा प्रेम करने वाली लड़की के कारण उसे रूम से बाहर होना पड़ता है |
पदवी प्राप्त होने के बाद वह स्टेट लेवल की परीक्षा याने के पीएससी की तैयारी करता हैं | ग्वालियर की पीली कोठी में रहने वाले मनोज ,पांडे ,अश्विन , गुप्ता और बाकी लोग भी पीएससी की परीक्षा रद्द होने के कारण यू पी एस सी की तैयारी करते हैं | पहले अटेम्प्ट की पहली परीक्षा देने के बाद मुख्य परीक्षा की तैयारी करने दिल्ली चले जाते हैं | वहां मनोज को हिंदी पढ़ाने वाले विकास दिव्यकीर्ति सर उसकी सबके सामने तारीफ कर के यह संभावना जताते हैं कि वह यूपीएससी परीक्षा पास कर सकता है | अपने इस तारीफ से फुला न समाकर मनोज अपनी पढ़ाई में बड़े जोश के साथ लग जाता है |
इसी दौरान मनोज के लाइफ में श्रद्धा नाम की लड़की आती है | मनोज श्रद्धा की तरफ खींचा चला जाता है | पांडे को लगता है कि श्रद्धा के कारण मनोज परीक्षा पास नहीं कर पाएगा | इससे पांडे मनोज की कितनी फिक्र करता है यह समझ में आता है | लेकिन उसे क्या पता कि सच्चा प्यार कभी भी हराता नहीं बल्कि जिताता है | अगर यकीन ना हो तो नारायण मूर्ति सर और सुधा मूर्ति मैम के इंटरव्यू सुनिए | आपको पता चल जाएगा | दोनों एक दूसरे की कितनी बड़ी ताकत है | पांडे को यह बात समझ में नहीं आती और वह मनोज को छोड़कर दूसरे मित्र के यहां रहने चला जाता है | इससे मनोज का खर्चा बढ़ जाता है |
अब दिल्ली में टिके रहने के लिए वह क्या-क्या करता है ? क्योंकि उसके पास उसके पिता की तरफ से कोई भी आर्थिक सहायता नहीं | श्रद्धा इसमें मनोज की कैसे मदद करती है ? यह आप को पढ़ना चाहिए | मनोज कुमार शर्मा सर इनका असली इंटरव्यू गूगल पर उपलब्ध है जिसमें उन्होंने पानी के ग्लास के माध्यम से भाषा के महत्व के बारे मे जूरी को बताया था | इसके बाद एक ही रिजल्ट कहानी के नायक मनोज की पूरी दुनिया ही बदल देता है | मनोज के रिजल्ट के बारे मे तो सबको पता है लेकिन पांडे ,अश्विन , गुप्ता का क्या होता है | यह भी आपको जाना चाहिए क्योंकि यह भी इस कहानी के अहम किरदार है | कठिनाइयों मे भी अपनी बुलंदियों का परचम लहेरने वाले लोगों के बारे मे हमे जरूर पढ़ना चाहिए | प्रस्तुत किताब भी उनमे से ही एक है | इसे जरूर पढ़िएगा | मिलते है , और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए धन्यवाद !